Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 22
________________ (१६) आश्रव तत्त्व व संवर तत्त्व । (१) प्रश्नः कर्म बंधन के हेतु अर्थात् कारणों कितने हैं ? उत्तरः पांच+मिथ्यात्व अविरति, प्रमाद, कपाय व जोग (२) प्रश्नः ये पांच हेतु व कारणों को शास्त्रमें क्या . कहते हैं ? उत्तरः आश्रव. (३) प्रश्नः आश्रव कितने हैं? . उत्तरः पांच मिथ्यात्व अविरति वगेरे (४) प्रश्नः मिथ्यात्व मायने क्या ? उत्तरः * असत्य मान्यता. (५) प्रश्न: अविरति मायने क्या ? . उत्तरः व्रत पञ्चखाण से रहित पना (६) प्रश्नः प्रमाद मायने क्या ? उत्तरः धर्म कार्य में आलस्य करना उसका नाम प्रमाद . (७) प्रश्नः कषाय मायने क्या ? उत्तरः जिससे संसार की प्राप्ति होती है या जिससे भव भ्रमण बढता है उसको कषाय कहते हैं. क्रोध,मान,माया,लाभ, य कपाय हैं. , +प्रमाद छोड कर चार हेतु भी शास्त्र में कहा है. • *. वीतराग प्रणित तत्वों को जाणे या सरदहे नहिं उसको मिथ्यात्व कहते है.

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