Book Title: Shalopayogi Jain Prashnottara 02
Author(s): Dharshi Gulabchand Sanghani
Publisher: Kamdar Zaverchand Jadhavji Ajmer

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Page 19
________________ (१३) युष्य, मनुष्य का आयुष्य और देवता का आयुष्य. (३०) प्रश्नः नाम कर्म के कितने भेद हैं ? उत्तरः दो शुभ नाम व अशुभ नाम. (३१) प्रश्नः नाम कर्म किसे कहते हैं ? उत्तरः जिस के उदय से जीव अरूपी होने पर भी नाना विध गति में अनेक प्रकार के रूप धारण करते हैं उस कर्म को नाम कर्म कहते हैं. (३२) प्रश्नः शुभ नाम कर्म के उदय से क्या फल मिले ? उत्तरः उसके उदय से जीव, गति, जाति शरीर अंगोपांग, रूप, लावण्य तथा यशोकीर्ति आदि अच्छे पाते हैं. (३३) प्रश्नः अशुभ नाम कर्म के उदय से क्या होवे ? उत्तरः उसके उदय से जीव, गति, जाति, शरीर अंगोपांग, रूप, लावण्य तथा यशोकीर्ति. आदि अच्छे न पावे. (३४) प्रश्नः गोत्र कर्म के मुख्य कितने भेद ? . उत्तरः दो. उच्च गोत्र व नीच गोत्रः (३५) मश्नः गोत्र मायने क्या ? . . उत्तरः कुळ अथवा वंश.. ... ... ... (३६) प्रश्नः उच्च गोत्र किसे कहते हैं ? . . . . अथवा वंश.

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