Book Title: Rajvinod Mahakavyam
Author(s): Udayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 15
________________ राजविनोद महाकाव्य कवि था । सम्भव है, उसके दरबार में भी उसे स्थान प्राप्त हो । प्रस्तुत काव्य. के. द्वारा कितनी ही ऐतिहासिक घटनाओं व महमूद के चरित्र पर तो प्रकाश पड़ता ही है, साथ ही.' अपनी कृति के लिए समयानुसार विषय चुनकर संस्कृत काव्य परम्परा की श्रृंखला में एक कड़ी जोड़ने का श्रेय भी कवि को अवश्य ही प्राप्त है। __इस कृतिके इस प्रकार संपादन और प्रकाशन में राजस्थान पुरातत्त्वमन्दिर के सम्मान्य संचालक आचार्य श्रीजिनविजयजी की ही प्ररेणा और मार्ग-दर्शन मुख्यतः कारणभूत हैं, अतः इनके प्रति आन्तरिक कृतज्ञभाव प्रकट करना अपना परम कर्तव्य मानता हूँ। यदि मध्यकालीन इतिहास के विशेषज्ञ इस ऐतिहासिक काव्य से अपनी गवेषणा में, कोई सहायता प्राप्त करके इतिहास के तथ्यों पर अधिक प्रकाश डाल सकेंगे तो इसके प्रकाशन का श्रम सफल समझा जा सकेगा। गोमालमसन mawww Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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