Book Title: Rajvinod Mahakavyam
Author(s): Udayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 65
________________ ३०] महमूद बेगड़ा का दोहाद का शिलालेख अहम्मद का पुत्र लिखा है उस प्रकार इनके बारे में स्पष्ट न लिखकर "उनके वंशज" इतना ही उल्लेख किया है । (२) कुतुबउद्दीन और दाऊद के नाम इस सूची में नहीं दिये गए हैं। दाऊद का नाम न देने की बात समझ में आ सकती है, क्योंकि उसने बहुत ही थोड़े समय राज्य किया और वह इस वंश का क्रमानुयायी भी नहीं था; परन्तु कुतुबउद्दीन तो महम्मद का ज्येष्ठ पुत्र था और उसने ७ वर्ष* तक राज्य किया। यद्यपि ७ वर्ष का समय कोई लम्बा समय नहीं कहा जा सकता परन्तु उसका राज्यकाल नगण्य भी नहीं माना जा सकता। इसलिए, इन लेखों में इसका नाम न पाये जाने का कोई कारण समझ में नहीं आता है । ऐसा हो सकता है कि महमूद के समय के सभी अरबी और संस्कृत के लेखों में मुहम्मद (प्रथम) का नाम उल्लिखित करने का और कुतुबउद्दीन व दाऊद का नाम निकाल देने का कोई विशेष कारण रहा हो, जो अब तक ज्ञात नहीं हो सका है। परन्तु, यह कहना तो संगत नहीं होगा कि उन लेखों के लिये जिन साधनों से जानकारी प्राप्त की गई थी वे इतने विशद नहीं थे जितने कि उन इतिहासकारों की जानकारी के स्रोत जिनको हम जानते हैं। फिर, महमूद में और इन दोनों में इतनी अधिक पीढ़ियों का अन्तर भी नहीं है कि उसके घरेलू आलेखों में उनको सहज ही भुलाया जा सके । वरन्, ऐसे आलेखों में तो उनके विषय में बाहरी लोगों की अपेक्षा और भी अधिक जानकारी को सामग्री मौजूद होनी चाहिये । सम्भवतः विभिन्न इतिहासकारों और लेखों से प्राप्त वंशावलियों में भिन्नता होने का यही कारण हो (कि वे इन सुलतानों के घरू आलेखों पर आधारित नहीं हैं )। ___इस लेख से हमें जो दूसरी जानकारी प्राप्त होती है. वह यह है कि इसमें मुजफ्फर शाह को 'मुदाफर नृप प्रभु' लिखा है । इस 'नृप प्रभु' उपाधि से, दिल्ली के बादशाहों। की सेवा करते हुए १३६६ ई० में मुजफ्फर द्वारा गुजरात के स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की ओर संकेत किया गया है । इस राज्य को राजधानी पट्टण थी जो प्राचीन काल में गुजरात के चालुक्यों के समय (६६०-१३०० ई०) में अणहिल पट्टण के नाम से प्रसिद्ध थी। दिल्ली के सम्राट मुहम्मदशाह के सूबेदार की हैसियत से मुजफ्फर द्वारा गुजरात के विद्रोही सूबेदार फरहत-उल-मुल्क और अन्य पड़ौसी सूबों पर विजय का उल्लेख इस प्रकार किया गया है:-- ___ * कैम्ब्रिज हिस्ट्री आफ इण्डिया, भा० ३, पृ० ३०१-३०३; ब्रग्स-पृ० ३७४०४ ; फरीदी-पृ० ४१; रॉस-पृ० १४,.२००, ४५१ । + कैम्ब्रिज हिस्ट्री आफ़ इण्डिया (जि० ३ पृ० ३०१) में लिखा है कि वह बहुत बीमार होकर मर गया था परन्तु यह हो सकता है कि वह सन्देहात्मक दशा में मर गया हो जैसे उसका पिता मुहम्मह मर गया था (ब्रिग्स-जि० ४ पृ० ३६) विवरण के लिए देखो 'कैम्ब्रिज़ हिस्ट्री आफ इण्डिया' जि० ३, पृ० २६४-६५ पा देखो--० हि० इ०; ब्रिग्स-जि० ४, पृ० ४-१०; फरीदी-पृ० ५-७; ६-१०; बर्ड-पृ० १७७ . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80