Book Title: Rajvinod Mahakavyam
Author(s): Udayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

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Page 64
________________ महमूद बेगड़ा का दोहाद का शिलालेख [२९ (१) मुजफ्फर शाह (मुजफ्फर प्रथम) (२) अहमद शाह (अहमद) (३) उसका पुत्र मुहम्मदशाह (मुहम्मद), (४) उसका पुत्र कुतुबउद्दीन (कुतुबउद्दीन अहमद शाह), (५) दाउद (दाऊद) और (६) महमूद (महमूद प्रथम), मुहम्मदशाह का द्वितीय पुत्र । इससे विदित होगा कि इस लेख की वंशावली में क्रमांक (४) व (५) के अर्थात् मुहम्मदशाह के पुत्र कुतुबुद्दीन* और उसके भाई तथा कुतुबुद्दीन के काका दाऊद के नाम नहीं दिए हुए हैं । परन्तु इसमें महम्मद (जिसको मुसलमान इतिहासकार मुहम्मद लिखते हैं) का उल्लेख अवश्य किया गया है । मुहम्मद का असली नाम तातारखाँ था और उसको यह उपाधि, उसके दिल्ली रवाना होने से पहले, उसके पिता जफरखाँ ने प्रदान की थी। यह घटना उस समय की है जब जफरखाँ दिल्ली के बादशाह की ओर से गुजरात में सुबेदार ही था और वहाँ का स्वतन्त्र शासक नहीं हुआ था । प्रस्तुत शिलालेख में महम्मद का 'महीपति' को स्थिति में वर्णन किया गया है । सम्भवतः उसके लिए इस उपाधि का प्रयोग महम्मद के उपरिवणित अल्पकालीन प्रभुत्व का स्मरण कराने के लिए ही किया गया हो। यह बात इस कारण से और भी संगत प्रतीत होती है कि उसे 'महीपति' लिखने के अतिरिक्त इस लेख में उसके द्वारा विजय की हुई किन्हीं लड़ाइयों का उल्लेख नहीं किया गया है। परन्तु, इन कुतुबुद्दीन और दाऊद के नाम इसी शिलालेख में छोड़ दिये गये हों ऐसी बात नहीं हैं, दूसरे दो अरबी शिलालेखों में भी ये नाम नहीं मिलते हैं । एक लेख तो स्वयं महमूद का है और दूसरा बाई हरी की बनवाई बावड़ी में प्राप्त हुआ है ।महमूद के चांदी के सिक्कों और अन्य कथानकों में भी इनका पता नहीं चलता है । इसके अतिरिक्त इन लेखों में भी मुजफ्फरशाह के पुत्र मुहम्मद (तातारखाँ) को मुहम्मदशाह लिखा है जिसका अर्थ यह निकलता है कि वह गुजरात के स्वतन्त्र सुलतानों में से था। इस वंशावली के सम्बन्ध में दो बातें और ध्यान देने योग्य हैं। (१) यद्यपि अहम्मद (क्र० ३) और महमूद (ऋ० ५) क्रमशः महम्मद (ऋ० २) और शाह महम्मद (क० ४) के पुत्र थे परन्तु जिस प्रकार इन दोनों को स्पष्टतया क्रमशः मुजफ्फर और * देखो-ऊपर बताए हुए इतिहासकारों की टिप्पणियां । + ब्रिग्स-पृ० ९; फरीदी-पृ० ६; बर्ड-पृ० १७६; फरिश्ता ने लिखा है कि तातारखां ने अपने पिता को कैद करके मोहम्मद शाह को उपाधि ग्रहण की; रॉस ने पृ० ६०४ पर लिखा है कि मुहम्मदखां उसका नाम था और तातारखां उसकी उपाधि थी। * एपि० इण्डो-मोस्लिम Ep. Indo-Mos., 1929-30 P. 4. इण्डियन एण्टि०, भा० ४, पृ० ३६७ ६ देखो-प्रिन्स अाफ़ वेल्स म्यूजियम, बम्बई का सूचिपत्र, गुजरात के सुलतान, पृ० २२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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