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महमूद बेगड़ा का दोहाद का शिलालेख और उज्जयन्त पर्वत को एक ही बताया गया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि पूर्व समय में गिरनार को दो भिन्न-भिन्न पहाड़ियों के नाम रैवत और उज्जयन्त थे परन्तु बाद में वे एक ही पर्वत के नाम हो गए । अतः प्रस्तुत शिलालेख में उल्लिखित रैवतक से उस पर्वत का अभिप्राय है कि जिस पर मन्दिर आदि बने हुए हैं और जो गिरनार के नाम से प्रसिद्ध हैं।
+ देखो नेमीनाथ के मन्दिर से प्राप्त लेख सं० १४ (रिवाइज्ड लिस्ट बाम्बे प्रसि०, पृ० ३५५) और मल्लदेव का चोरवाड़ का लेख पृ० २५० । माण्डलिक राजा के एक लेख में दोनों नाम हैं परन्तु यह स्पष्ट नहीं है कि ये दोनों नाम एक ही के हैं अथवा भिन्न भिन्न पर्वतों के । (पृ.० ३४७-४८)
पा बाम्बे गजेटियर, भा० ८, पृ० ४४१ "जैन लोग कभी कभी गिरनार को ही रेवताचल कहते हैं, परन्तु यह ग़लत है।"
शिलालेख का पद्य विवरण पद्य सं० १, १०, २६
आर्या - ३, ११, १२, १६ से १८, २०, २२, २३
अनुष्टुप
इन्द्रवज्ञा ४, १३, १४, १५, २५
स्रग्धरा ७ से ६, १६, २१, २४
शार्दूलविक्रीडित राजविनोद महाकाव्य में वर्णित प्रसिद्ध व्यक्तियों एवं
स्थानों आदि की सूची अङ्गाधिप ४. ४. . . . कर्णाट ७. २८, २६. अर्जुन २. १७.
कलिंग ४. ६. अल्पषा (खा) न २. ५.
कामरूप (देशपति) ४.१३. अहंमद १.२६., २. १०, १३,१४,३१;
काश्मीर ३.५; ७. ३५. ३.३३, ४. ३३, ५.३५ ६.३६, ७.४३.
काश्मीर मण्डलपति, ४. २०. इन्द्र ४. २०.
कृष्ण २. २. इन्द्रप्रस्थ २.८.
कुंभकर्ण ४. १२. उदयराज ७. ४१.
गायासदीन १.२६; २. १४, ३१; ऐरावत ४.8. कच्छ २. ३.
३. ३३; ५.३५; ६.३६;
७.४३. कान्यकुब्ज ४. १८.
गूजर २. २०; ४.६, ७०३४, ३५. कर्ण १.१३; २.१७, २६; ४.२६; गजर क्षमापति १. २६; २. ३१;
३. ३३, ४. ३३, ५. ३५ कर्णाटक ४. ८.
उपजाति
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