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२८] महमूद बेगड़ा का दोहाद का शिलालेख
- यह लेख मङ्गलाचरण से आरम्भ होता है जिसमें काश्मीरवासिनी देवी को नमस्कार किया गया है । इसके बाद मुदाफ़र पातशाह का उल्लेख है जो गुजरात के मुजफ्फर प्रथम के अतिरिक्त और कोई नहीं हो सकता।
इसके बाद गुजरात के सुलतानों की वंशावली इस प्रकार दी हुई है:--(१) शाह मुदाफ़र (२) उसका पुत्र महम्मद (३) उसके वंश में उत्पन्न शाह अहमद (४) तत्पुत्र शाह महम्मद (५) उसका वंशज शाह महमूद ।
.यह वंशावली मुस्लिम इतिहासकारों द्वारा दी हुई (एवं कैम्ब्रिज हिस्ट्री ऑफ इण्डिया* द्वारा स्वीकृत) वंशावली से भिन्न है । इस पर नीचे विचार किया जाता है।
फरिश्ता, मोराते सिकन्दरी, मीराते अहमदी और अरैबिक हिस्ट्री ऑफ़ गुजरात|| के लेखकों ने सुलतानों की सूची इस प्रकार दी है:राजपूत राजाओं के, उनके मुसलमान प्रभुशासकों का उल्लेख है। उनमें से प्रस्तुत लेख के समय का निकटवर्ती एक ही लेख राजपूताने की जोधपुर रियासत के अन्तर्गत लाडनू नामक स्थान का मिला है । यह लेख संस्कृत में है और वि० सं० १३७३ का है । प्रसंगवश इसमें शाहबुद्दीन गोरी से अलाउद्दीन खिलजी तक दिल्ली के बादशाहों की वंशावली दी है । देखो जि० १२, पृ० १७-२७ ।
६ महमूद के समय के दूसरे लेखों से इस देवी को पहचानने में सहायता नहीं मिलती । संभवतः यह ब्राह्मी सरस्वती देवी है क्योंकि गुजरात के एक लेखक चन्द्रप्रभसूरि (१२७८ ई०) ने भी अपने प्रभावक-चरित (सं० हीरानन्द शर्मा, बम्बई. १६०० ई०) के हेमचन्द्र प्रबन्ध खण्ड में 'देवी काश्मीरवासिनी' पद का प्रयोग किया गया है (पद्य ३६-४६) । इसमें यह बताया गया है कि हेमचन्द्र ने काश्मीरवासिनी ब्राह्मी देवी को प्रसन्न किया और 'सिद्धसारस्वत' हो गया। यहां काश्मीर के शारदामन्दिरवाली दुर्गा सरस्वती से भी तात्पर्य हो सकता है । यह मन्दिर १५वीं और १६वीं शताब्दी में भारतवर्ष में खूब प्रसिद्ध था । देखोस्टॉईन का 'कल्हणस् कानिकल आफ काश्मीर,' भा॰ २, पृ० २७६ ।
* जिल्द ३, पृ० २६५ और ७११.
+ ब्रिग्स द्वारा फारसी से अंग्रेजी अनुवाद-हिस्ट्री अाफ़ दी राइज आफ दी महोमेदन पावर' जिल्द ४, पृ० १-६ । यहां पृ० ८-६ पर फरिश्ता ने किसी इतिहासकार का हवाला नहीं दिया है परन्तु लिखा है कि मुजफ्फरशाह ने अपने पुत्र को दिल्ली रवाना होने से पूर्व 'गियास उद्दौला-उद्दीन मोहम्मद शाह' की उपाधि प्रदान की।
+ फरीदी कृत अनुवाद पृ० ७; इसमें भी लिखा है कि जफ़रखां ने स्वतन्त्र होने से पहले तातारखां को नासिर उद्दीन मुहम्मदशाह की उपाधि देदी थी।
[ Bird (बर्ड) कृत अनु० पृ० १६५,-१६७, २०१-०२;
|| जफ़र उलवालि बी मुज़फ्फर वा आली (रॉस) पृ० १, ३, १४, ६०६ (देखो जिल्द ३ परिशिष्ट)
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