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महमूद बेगड़ा के समय का दोहाद का शिलालेख।
(वि०. सं० १५४५; शाके १४१०)
मूल लेख के संपादक डॉ० एच० डी० साँकलिया, एम० ए०, एल-एल बी०,
पीएच्० डी० ( लन्दन )
यह शिलालेख प्रिंस आफ़ वेल्स म्यूजियम, बम्बई में सुरक्षित है । उक्त म्यूजियम के संरक्षकों के सौजन्य से प्राप्त लेख को छापों एवं मूल शिला से भो देखकर इस लेख को सर्वप्रथम अभी प्रकाशित किया जा रहा है। पुरातत्व विभाग के क्यूरेटर श्री जो० वी० आचार्य व श्री आर० के० आचार्य ने इस लेख के कुछ अंशों को पढ़ने में सहायता को है अतः सम्पादक उनका आभार मानता है । जिस पत्थर पर यह लेख खुदा हुआ है वह ३ फोट ३ इंच लम्बा और १ फुट ७ इंच चौड़ा है । कहते हैं कि यह पत्थर दोहाद कस्बे से प्राप्त किया गया था जो बम्बई प्रेसीडेन्सी में बड़ौदा से उत्तरपूर्व में ७७ मील पर स्थित है। दोहाद पांचमहाल जिले के सबडिवीजन का एक प्रमुख कस्बा है। दो लम्बी दरारों के अतिरिक्त कई जगह से इस पत्थर की चटखें उतरी हुई हैं जिनसे इस लेख को पढ़ने में कठिनाई पड़ती है । कहीं-कहीं इस पर सिन्दूर अथवा और कुछ रंगीन चिकना पदार्थ लगा हुआ है जिससे यह कठिनाई और भी बढ़ जाती है । इस लेख में कुल २२ पंक्तियां लिखी हुई हैं। पहली व अन्त को दो पंक्तियों के बहुत से अक्षर बिलकुल घिस मये हैं। प्रत्येक अक्षर प्रायः ३ इंच का है।
• यह लेख वैशाख सुदी १३ विक्रम सम्वत् १५४५, शक सम्वत् १४१०, का है (सम्भवतः २१ वी पंक्ति के पूर्वार्द्ध में हिजरी सम्वत् और वार का नाम भी खुदा हुआ था जो बिलकुल चटख गया है) । गणना से यह दिन वृहस्पतिवार, २४ अप्रैल १४८८ ई० (हिजरी सन् ८६३ जमादि-उल-अव्वल) आता है। तिथि के विषय में यह बात ध्यान देने योग्य है कि इस लेख पर विक्रम सम्वत् तथा शक सम्वत् दोनों ही खुदे हुए हैं । यह क्रम गुजरात में पाए जाने वाले. महमूद के समय के सभी संस्कृत शिलालेखों में
+ ‘एपिग्राफिआ इण्डिका' के जनवरी, सन १६३८ (भाग २४, अंक ४) में प्रकाशित ।
* इण्डियन एफ़िमरीज़, जिल्द ५, पृ० १७८ (एस. के. पिल्लई)
| (बाई हरी) का शिलालेख । इण्डियन एण्टीक्वेरी, जिल्द ४, पृ० ३६८ 'अडालज वाव' शिलालेख 'रिवाइज्ड लिस्ट एन्टीक्वेरियन रिमेन्स बाम्बे प्रेसीडेन्सी' पृ० ३००।
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