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महमूद बेगड़ा का वंशपरिचय
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ख- मलिक और शेर मलिक को मार डालना क्योंकि ये राज्य में बखेड़ा करने
बाले हैं।
तू हमेशा कृपावन्त रहना । यदि तू अपने ही सुख में हूबा रहेगा तो देश में सुख चैन नहीं रह सकेगा ।
गरीब दरवेशों ( सन्तों) की फिकर रखना क्योंकि प्रजा के बल पर ही राज़ा ताज धारण किए रहता है ।
प्रजा मूल है और सुलतान वृक्ष है। हे पुत्र ! मूल ही से वृक्ष मजबूत होता है। इसलिए जहाँ तक हो सके वहाँ तक प्रजा से बिगाड़ नहीं करना चाहिए । हे पुत्र ! यदि ऐसा करोगे तो तुम अपनी ही जड़ काट डालोगे ।"
इसके थोड़ी ही देर बाद सुलतान इस क्षणभंगुर संसार को छोड़कर चल दिनों में हुई । उसको पाटण शहर के
बसा' । यह घटना सफ़र महीने के अन्तिम
१
किसे के अन्दर कब्र में दफ़नाया गया ।
मुज़फ्फर शाह के बाद उसका पौत्र सुलतान मोहम्मद का पुत्र अहमदशाह -- सुल्तान अहमद नासिदद्दीन अबुलक़त अहमदशाह का पद धारण करके हिजरी सन् ८१३, तारीख १४ रमजान के महीने में गद्दी पर बैठा। उस समय उसकी आयु २१ वर्ष की थी।
अहमदशाह के गद्दी पर बढते ही उसके चचेरे भाई फ़ीरोज़ खाँ ने अपना हक प्रकट किया और भडोच में अपने आपको सुलतान घोषित कर दिया । परन्तु अहमदशाहने कुछ समय के लिए उसके विद्रोह को दबा दिया। इसके बाद सुलतान ने आशावल ग्राम की जलवायु को अपने अनुकूल मानते हुए वहीं पर १४१२ ई० में एक नगर बसाया जो उसीके नाम पर अहमदाबाद कहलाया । आशावल ग्राम भी इस बड़े नगर का ही एक हिस्सा बन गया। अहमदाबाद उसी समय से गुजरात के बादशाहों की राजधानी रहता आया है ।
१ मुजफ्फरशाह की मृत्यु, २७ जनवरी सन् १४११ ई० को हुई । रासमाला पृ० ४३४
२ आशावल ग्राम आशा नामक भील के नाम पर बसा हुआ था । यहीं पर कर्ण सोलंकी ने कर्णावती पुरी बसाई थी। अलबेरूनी ने भी ४ शताब्दी पूर्व येशावल नगर का जिकर किया है।
३. अहमदाबाद का कोट हि० स० ८१६ (१४१३ ई०) में बन कर तैयार हुआ था। कहते हैं कि इस नगर की नींव रखने में अहमद नाम के चार व्यक्तियों का हाथ था । एक, कुतुबुल मुशायख शेख अहमद खतु, दूसरा सुलतान अहमद, तीसरा शेख अहमद और ater मुल्ला अहमद । पिछले दोनों व्यक्ति बहुत विद्वान् थे ।
राज विनोद में अहमदशाह द्वारा नगर बसाए जाने का कोई वर्णन नहीं है ।
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