Book Title: Rajvinod Mahakavyam
Author(s): Udayraj Mahakavi, Gopalnarayan Bahura
Publisher: Rajasthan Puratattvanveshan Mandir

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ २८ ] राजविनोद महाकाव्य अपने घोड़े को सेक लेता और पेड़ लगानेवाले से पूछता कि इस वृक्ष को पानी कहां से लाकर पिलाते हो। यदि वह पानी का स्थान कहीं दूर पर बतलाता तो सुलतान कृपापूर्वक वहीं कुंआ खुदवा देता और पेड़ बड़ा होने पर लगानेवाले को इनाम देता । फिरदौस बाग जो ५ कोस लम्बा और १ कोस चौड़ा है इसी सुलतान का लगवाया हुआ है। शाबान बारा भी जो स्वर्ग की समानता करता है इसी के समय में तैयार हुआ था। इसी प्रकार जब वह किसी खाली दुकान या मकान को देखता तो वहां के अधिकारी या नौकरों से इसका कारण पूछता और तुरन्त ही उसको आबाद करने का प्रबन्ध करता था। इस प्रकार 'जो दाखिल होता है वह सही सलामत है' इस कुरान की आयत के अनुसार प्रजा उसके राज्य में सुखी थी ।' अनेक लड़ाइयों में विजयलाभ प्राप्त करने से उसकी वीरता व भवनों तथा बारा बगीचों से उसके कला-प्रेम का तो परिचय मिलता ही है, परन्तु कवि उदयराज विरचित प्रस्तुत राजविनोद काव्य से उसके चरित्र का एक और पहलू भी सामने आता है ( जिसको प्रायः हमारे इतिहासकार विशेष महत्व नहीं दिया करते हैं); वह यह है कि वह कविता प्रेमी भी था । अवश्य हो, कट्टर मुसलमान होते हुए भी, संस्कृत में निगुम्फित उसके इस यशोगान ने उसके मूलतः हिन्दू हृदय को परम सन्तोष प्रदान किया होगा । Jain Education International ~ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80