Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 43
________________ १० ] वात देवजी बगडावतारी वैर कुण लेसी । ताहरां ठाकुरां फुरमायौ हुं लेईस । ताहरां माताजी ईहड सोलंकीरै घरे अवतार लीयौ । ___ युं करतां माहे वरस १२ री हुई। ताहरां सगाईरी अटकळ मांडी' । ताहरां राणे भणायरे धणीनुं नाळे र मेल्हीयौ । राणे नाळे र झालीयौ । हिवै वीमाह साहो थापि मेल्हीयौ । ताहरां रांणे जांन* करि परणीजणर्नु चालीयौ। ताहरां वगडावतांनुं आदमी मेल्हीयौ जु राणैजी परणीजण, चढीया छै । थे वैगा" आवौ । ताहरां ईयां कहायौ म्हे आविस्यां पिण म्हांहरो सभाव छै । बीजी तरहरौ छै । म्हे षरचिस्यां । दारू पीस्यां। थे सांसहिस्यौ नहीं । म्हांनु मतां ले जावो। ताहरां रांणै कहाडीयौ' जे थे खरचिस्यौ तौ सोभा म्हांन हुसी । थे वेगा अायौ । ___ ताहरां अ वणाव करि प्रापरौ साथ लेनै हालिया। प्राइन रांणैजीरो मुजरौ कीयौ। सु ईयै भांतर' आया सुं राणैरौ साथ छिप गयौ। नजर अावै नही। अ हीज दोसै । आपरो साथ पसवाडै10 चाले । डेरा पिण जुदा करै । क्युं रांण विच ईयांरौ साथ भलौ दीसै । ईयुं करतां ईहडरै गांम जाय पहुता। ___सांमेहळो13 पिण आयौ सांम्हा। इतरैमै जेलू14 पिण दीठौ । १. अटकळ मांडी - युक्ति की। २. भणायरे मेल्हीयो - भिनायके स्वामीको नारियल भेजा। ३. हिवं 'मेल्हीयौ - अब विवाह-लग्न निश्चत कर भेजे। ४. जान -बरात, सं. यान । ५. वैगा-वेगसे, तुरन्त । ६. सांसहिस्यों नहीं - सहन नहीं करोगे। ७. कहाडीयौ - कहलाया। ८. हालीया - चले। ६. ईयै भाँतर - इस भांतिसे । १०. पसवाडे -पीछे। ११. डेरा' 'कर- ठहरनेका स्थान भी अलग करते।। १२. जाय पहुता- जा पहुंचे। १३. सांमेहळो - सामने जाकर स्वागत करनेको प्रथा। १४. जेलू - ईहड सोलंकीकी पुत्री जो देवीका अवतार मानी गई है। जेल अथवा जळू मागे वगड़ावतोंके विनाशका कारण बनी जिससे कहावत प्रचलित है-'जेळू थे तो घणा वगडावत खपाया' जेळू ! तुमने बहुत बगड़ावतोंका विनाश कर दिया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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