Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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वात देवजी बगडावतांरी
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दडावट राजथांन तेथ आया । नीलावर# घोड़े चढीया श्राया । लोप हूवा । देव धरम राजा आज लोक
आईने घोडे चढीया पूजा हुवै छै । वड़ौ देव छै ।
१. दडावट राजधान - दडावत या घड़ावट मेवाड़ में ग्रासींदके निकट एक गांव है। asta नामक स्थान बगड़ावतोंकी राजधानीके रूपमें प्रसिद्ध रहा है ( मरु भारती, पिलानी । वर्ष ३, प्रङ्क ३ में "राजस्थानके लोक देवता" नामक श्री झाबरमल्ल शर्माका निबन्ध ) ।
२. नीलावर - एक रंग विशेषका घोड़ा ।
३. अलोप हूवा - लुप्त हुए ।
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