Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 121
________________ ८८ ] वीरमदे सोनीगरारी वात समाचार पूछ । तरै मास २ ६ ३ गढ जालोर पोहतांरा' समाचार आया वले आवसी । तरै पिण हजरत वीरमदे दोड गयो थो सो दोड पिण गयो न्ही नै सेहर पीण गयो न्ही तिणरो घणो सोच छ । च्यारै दिस आदमी दोडीया छै। एसा समाचार आया। वले अावसी तरै मालम करसुं। मास १ 5 २ नै बलै पूछीयो । तरै कह्यौ काइ षबर न्ही। पातसाहरा मुंहडा प्रागै नाकरो न कर सकै पिण परो गयो दीसै छै । मांहरै घरमै इतरोइज चांदणो हंतो। इसी वात पातसाह प्रागै कही। वीरमदे भागो सो गम न्ही । तरै साह वेगम बे[बोली। हजरत काफर बैह नावणाया । पातसाह सलामंत रांणगदेका जाबता करीयो। इणकै ताई षबर है। पातसाह तोगवैसो छोड्यौ । तिण समीय बलकर पातसाह अलावदीनै भैसो १ निपट मातो मेलीयो । जिणरा सिंघ'° पूठो ढांकन पूछडै जाय लागा छ । तिको भैंसानै झटकासु मारज्यौ । जबै1 करो मती। दिली अाया। पातसाहसु मिल्या। परवांना दीधा । हकीकत वाची। भैसौ मारणरै वासतै पातसाह दरीषांनो' करैनै विराजीया । मीरजादां जवांनांनै हुकम कीया सो भंसा उपरै थेट १. पोहतार। - पहुंचनेके । २. तिणरो घणो सोच छै – उसकी बहुत चिन्ता है । ३. वले "करुसु - फिर पावेंगे तब निवेदन करूंगा। ४. इतरोइज' हूं तो - इतना ही प्रकाश था । ५. वीरमदे 'न्ही - बीरमदे भागा जिसका दुःख नहीं। ६. बैह नावणाया - दोनों नहीं मानेके हैं। ७. इणकै ताई षबर है - इनको सूचना है। ८. तोगवैसो छोड्यो - पैरोंमें बेड़ी पहिनानेकी प्राज्ञा दी। (?) ६. निपट मातो मेलीयो - बहुत मस्त भेजा। १०. सिंघ - सोंग। ११. जब - जिबह, हलाल । १२. दरीषांनो- अनौपचारिक बैठक । १३. विराजीया - बैठा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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