Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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परिशिस्ट
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किया जा रहा है। राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर द्वारा हालही में प्राप्त किए गए इन्द्रगढ़ (कोटा) के सरस्वती-भंडारके हस्तलिखित ग्रन्थों में एक चारण गीत संग्रह भी है जिसमें उक्त सोमोगरा चौहान वीरोंके विषयमें भी गीत और दूहे लिखे गये हैं। पाठकोंकी जानकारी और संदर्भ हेतु उनको नीचे उद्धृत किया जा रहा है
गीत वीरमदे सोनगराको सर सेल कटारी पटे [पेट] न सकीयो,
डरपीयो हर अहर दुष । फुरत भलो बीरमदे फुरोयो,
माथो पींड बिरण परा मुख ॥ पोहोप पटोळं बीर पुजीयो,
देष के वैरज मांहि दीवाण । आणीयां पछो हुवो अपराठो,
सुदतायी सोभ बदी सुरताण ।। रंगि कैवरि न रचे अने रड़े.
राव प्रभतायी तणी रुष । बरबा कजि उठि सीस बदनी,
मुष देषे फररीयो मष । छ चोक छतीस पोहोरकी छेटी,
बीर तह न बीसरीयो। बाढीया पछो भलो बीरमदे,
फटि फटि [फीट फोट] कहे कमल फरीयो ।। ५२३
गीत जसो सोनगरारो
जुग च्यार पर्षे गा मुझ जोवता,
राजि कन रहतां दीन राति । आजि सहार बिचै उपामे,
जुनां देव नवी या जाति ।। पाहिव आहि वजतै प्राणीया, ।
सो जाणं मैं दिठ सह । कमळा तणो कमल कहकंतां,
किम मिलीयो यिम वात कहै ।।
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