Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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वीरमदे सोनीगरारी वात . [८७ तरां साह वेगम पातिसाहन कह्यौ । हजर[त].कान्हडदे वीरमदेने सीष द्यौ। इणका चचा रांणगदेकुं अोलमे' रषो। हिदू है आवै के नावै।
पातिसाह कह्यौ खूब कही।
कान्हडदे सोनिगरो सीष मांगणनै आयौ तरै पातसाह कह्यौ। भाई रांणगदेकुं हमारे पास रषो। कानडदेजीरो घोडो देवांसी छै । आसौ चारण नै एक षवास तीजा रांणगदेजी। झै तीन जणा राषैनै चालीया । ___तरै रांणगदेजी कह्यौ। ठाकुरां आगे तो सोनारो पोरसो छै नै बारै लाष रुपीया ले जावी छौ तिणरो गढ करावजो। आपण तो पातिसाहसुं नावो करणो छै । मोनै वेगो समाचार देजो।
इसी वात ठहरायनै कूच कीधो जालोर पोहता। सषरो' मोहरत जोयनै गढरी रांग दोधी । गढरी ताकीदी कीधी। __ वांस तगा मीलकरी' हवेलीमें रांणगदेजीनै राषीया। रांणगदेजीरो जोबतो कीजो। आसो चारण पईसा २ भर अमल लीयां करै । रांणगदेजी अमल कर कमर वांधने झींथा घोडो उपरै चढे नै पुरी करावै तरै अमल उगै ।
रांणगदेजी दिन ५ ६ ७ पातसाहरै मुजरै जायै पातिसाह घरांरा १. प्रोलमे -बंधक रूपमें । २. देवांसी-देव-वंशका। ३. पोरसो - पारस पत्थर । ४. नावो करणो छ - नाम अर्थात् संघर्ष करना है । ५. वेगो-शीघ्र, वेग (सं.)। ६. पोहता - पहुंचे। ७. सषरो- श्रेष्ठ, प्रच्छा। ८. गढरी रांग दीधी - गढ़-निर्माणका कार्य प्रारंभ किया। ६. तगा मीलकरी- नजरबन्द करने वालेका नाम है। १०. अमल - अफीम, अहिफेन (सं.)। ११. झीथा - घोड़ेका नाम । १२. अमल उग-अफीमका नशा पावे।
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