Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text ________________
वीरमदे सोनीगरी वात
[ ६५
वात सुणनै वीरमदेजी मनमै राषी' । अलावदी पातसाने १२ वरस हूवा गढ भिले नही ।
3
fare पातसाह कौ । हजरत गढ माहै सांमांन नीठीयो दीसँ छै । आ षबर वीरमदेजीनें हुई । तरें दूधरी बीर करायनें दोना भरने फोज दीसा नांषीया * ।
4
तिरै पातसाह देष कह्यौ । मैरा बैटा काफर अजैसे तो गढ़ में षीर षावै छै । सांमांन बोहत वरसके है ।
1
पातसाह पाछो कूच कीधो । मोरचा उठाय दीया । जालोरसुं कोस ४ उपरै डेरा दीधा । दिन षंडप भवरांणी डेरा हूवांरो हलकार' प्रायने कह्यौ ।
दुजै
.9
10
तर गढरी पोल घोलने सैदांना वागा । दरीषांनो कीधो" । जाचक जिन " विरद बोलै छै । तिसै गोठ" तयार हुई । तरै सारो ही साथ जीमै छै । वीरमदेजी ने बेंनोई + दहीयो भेला जीमें छै ।
3
14
दहीया २ सूल दीघा था । तिकांरा मुंहडा ग्रांमा सांमा देषनै
१. यह प्रसङ्ग ख. धौर ग. प्रतियोंमें आगे दिया गया है।
२. भिलै न्ही - नष्ट नहीं होता, विजित नहीं होता ।
6
३. नीठीयो दीसं छे - समाप्त हुआ दीखता है ।
४. फोज दीसा नांषीया फोजकी घोर डाले। ख. प्रतिका पाठ इस प्रकार है तरै [] कूतरी व्याई थी तिकारी दुध लेनं बोर कराई। तिके पातलाई बोर लगाने ल्हसकर दोसी नांषो ।'
-
५. अजैसे - अब तक 1
६. दुजै - दूसरे । सं. द्वितीय, गुज बोजा ।
७. हलकारे - संवाददाताने ।
८. सैदांना - नक्कारे ।
६. वागा - बजे ।
१०. दरीषांनो कोधो - दरबार किया ।
११. जाचक जिन - याचकजन ।
१२. गोठ - प्रीति भोज, सं. गोष्ठी ।
१३. जीमं छे - भोजन करता है । १४. बॅनोई - बहनोई |
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142