Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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परिशिष्ट के नीयाजीरो माथो चांवड़ माळामें पोयो । नीयाजी घोड़ो ऊबटा रंगमहलांमें आवे । सती हो तो जागजो नियारी भारती लीजो उतार । गज मोतीड़ा थाळ, गढ़री गजरयां आई । गजरयां देखे वेष नीयाजीरे माथो नहीं।
के भड़ भाई चोईस, हुया घुड़ले असवार । कै रण भारत माचियो, खारीरे ढावे पास । देवी चांवडा खप्पर खाण्डो ले ऊतरी। ऊतरी धर बदनोरांसू आज बगड़ावतारी फोजमें। चोईसारा माथा काट, झट माळा पहरली। "गण गण माथा तोड़, बैठी बदनोरांरी ढाळमें ।
देव नारायण देव पधारिया दसा बावड़ी, गावो मंगलाचार । वधावा गावो परथीनाथरा, गावो मंगलाचार । गजर करे भारती, घणी खमा नारायण हींदे पालणे । पुजारा करे भारती, श्री नारायण हींदे पालणे । खारीरा भोमिया थारी भारती, भदेरया भेरू थारी भारती। मातासरी पो थांरी आरती, बदनोरी चांवडा थांरी आरती । खूमाणा स्याम थारी भारती, काळी काळका थांरी पारती। जोगड़ारा धणी थांरी आरती, भूत्या सक्या थांरी पारती। तेतीस करोड़ देवता, थांरी बोलां प्रारती। कासीर। वासी, ने बारा ही पुजारा बोलां पारती ॥
२ महाराजा बहादुरसिंह कृत ख्याल
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठानके पुस्तकालयमें किशनगढ़ महाराजा बहादुरसिंह प्रणीत ख्याल परक एक नवीन कृति हालही में प्राप्त हुई है । यह कृति पुस्तकालय रजिस्टर में क्रम संख्या १३७५२ पर अङ्कित हुए गुटकेमें लिखित है। ख्यालके कतिपय अंश पाठकोंकी जानकारीके लिए प्रकाशित किये जाते हैं।
* श्री गणेशाय नमः * अथ ध्याल महाराज वहादुरसिंहजी कृत लिख्यते
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