Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
View full book text ________________
प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात उगियो बदन बारह अरक', बीर रूप सोभा बरण । देषियां हीज आवै बणे, तिण वेला हरियंद तण' ॥१ अंग रोम ऊल्हस तेज, चष मुष रातंबर । मूंछ भुहारां मिले", पांव नह लगै धरा पर ।। भुजा कंध उभार, उवर उछाह न मावै ।। अधर हास वोपवै'", छोह छक'' अति दरसावै ।। उफरणे उमंग गहमह अनत, बीर रूप सोभा बरण' । बे[दे]षियां होज प्राव बणे", तिण बेला हरियंद तरण ॥२ पताहत पाधरै, अरज कोधी तिरण प्रोसर । चित सदा चाहतो, मिल्यौ तिसड़ो हीज मोसर'" ॥
अबरंगसूं करि प्रांट", अडाण षागां दाषीज18 । १. उगियो' अरक - बारह सूर्योके तेजसे समता वाला उसके मुंहका तेज उदित हुआ। २. ग. घ. प्रतियोंमें 'बीर साद बोले वयण' पाठ है। ३. देषियांबणे - देखते ही बनता है । ___ ग. घ. प्रतियोंमें 'इळ वीच क्रीत राषण अमर' पाठ है। ४. हरियंद तण - हरीन्द्र तनय-हरिसिंहके पुत्र महोकसिंहका ।
ग. घ. प्रतियोंमें यह पाठ है-'गमर सीस लागौ गयण ।' ५. ऊल्हस - उल्लसित होता, सुशोभित होता। ६. चषरातंबर – लाल नेत्र और मुंह । ७. मुंछ मिळे - मूछे भोंहोंसे मिलती हैं। ८. पांव पर - उत्साहमें पैर पृथ्वी पर नहीं टिकते हैं । ६. उवर 'माव - उरमें अर्थात् हृदयमें उत्साह नहीं समाता। १०. अधर'वोपर्व - पोठों पर हास्य सुशोभित होता है ।
ग. घ. प्रतियोंमें 'वोपवैके' स्थान पर 'प्रोपवे' पाठ है । ११. छोह छक - पूर्ण उत्साह । १२. उफणे गहमह - समूहमें उत्साह उफनता दिखाई देता है। १३. अनत' 'बरण - अद्वितीय वीरता, रूप और वर्णकी शोभा। १४. ग. और घ. प्रतियोंमें 'आवै बणे' के स्थान पर 'वण प्रावही' पाठ है। १५. पताहत 'प्रोसर - उस अवसर पर सीधा प्रतापसिंहसे निवेदन किया । १६. तिसड़ो हीज मोसर - वैसा ही अवसर। १७. प्रांट - वैर। १८. अड़ण षागां दाषीज - तलवारोंसे लड़ना देखिये।
ग. घ. प्रतियोंमें 'दाखोजे' के स्थान पर 'भाषीज' पाठ है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142