Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 114
________________ वीरमदे सोनीगरारी वात [८१ मारूं तो चाकर । इसो मचकूर' करनें उठीया । तिसै बीजै दिन वीरमदेजी गोठरी तयारी कीधी । तरै निबोजी वीरमदेजो पांतोयै बैठा। तिस वोरमदेजोनै कानडदेजी बुलायो । तिसै उठतां थकां कह्यौ । वीजडीया पुरसगारो करे हु आयो । तिसै वीजडोयारा हाथमै वीरमदेजीरो षांडो हूंतो सो नीबाजीने वायौ । आध नेत्र सहीत माथो तूट पडीयो। थांभारै प्रोलै वीजडीयो उभो तिसै नीबेजी तरवार वाई' सो . थांभो कटेने वीजडियारा दोय टूक हय पडीया । तरै चारण कहै । वही वहंत वाह, नर थांभो निझोडीयो । निवडा तणे नेठाह', मारयो विजडीयो मुणस' ॥१ . तिसै गढ माहै हाको हूवौ। नीबाजीरा साथरै गुलीवढ तरवारां थी'' तिणांसुं कांई सझीयो न्ही । साथ सगळो ही नींबाजी कन्है १. मचकूर – निश्चय (?) २. गोठरी - गोष्ठिकी, प्रीतिभोजकी। ३. पांतीय - पातीय पर, भोजनके लिये पंक्तिबद्ध बैठनेके लम्बे वस्त्रको 'पांतीया' कहते हैं। ४. पुरसगारो - भोजनके विविध पदार्थ सामने रखना। ५. षांडो - खड्ग (सं.), विशेष प्रकारकी दुधारी तलवारको 'खांडो' कहा जाता है । ६. थांभार उभो - स्तंभकी प्रोटमें धीजडीया खड़ा था। ७. ग. प्रतिमें यह पाठ है – 'तिको नींबाजीरो माथी अलगौ जाय पड़ियौ न बोजड़ियो थांभार उलै प्राय गयो । तदि नीबेजी प्रापरी तरवार माथै पड़ियै पछै प्राडी वाही।' ८. निझोडीयो- काट दिया। ६. निबड़ा तणे नेठाह - नींबाजीकी हठ, वीरता। १०. मुणस -- मनुष्य । ग. प्रतिमें दूहेका पाठ इस प्रकार है ___ वही वही तै बाहि, नर थांभो नीझौड़ियो । नीबड़ा तणे नेठाहि मरिये वीजडिय मुणस ॥१ ११. गुलीवढ तरवारां थी- गुलोवढ (?) तलवारें थीं। ग. प्रतिमें 'नीबाजीरा' 'तरवारां थी' के स्थान पर यह पाठ है-नोबाजीरा साथ, उमराधांरा हथियार सिकलीगररै दीधा था, तठे गुलरौ बाढ़ दिरायौ थौ । १२. सझीयो न्ही - बना नहीं, सफलता नहीं मिली। १३. सगळो - समग्न, सारा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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