Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 113
________________ ८० ] वीरमदे सोनीगरारी वात ___तरै वीरमदेजी पंजूनै वचन बोल दैनै निबाजी कनै मेलीयो । पंजून निबै घणो आदर सनमान देनै बीजै दिन' चढीया सो लग्नरै दिन जालोर अाया। रांव कानडदेजीसुं रांणगदेजीसुं वीरमदेजीसुं जुहार कीधो । डेरो दिरायो । मोदी भलायो । ___ दहीयो परणीयो तिणरो महिल गढ मांहें करायो। वीरमदेजीरै नै निबाजीरै घणो हेत । पंजूपायक नींबाजी कन्है बैठो रहै । एक दिन राजडीयारो बेटो वीजडीयो वीरमदेजीरी षवासी करै छै । तिस बापरो वैर याद आयो तरै प्रांष भरी' । तरै देषनै वीरमदेजी पूछीयो । क्यु तोने कीण दूष दीन्हौ । ___ तरै विजडीयो मुजरो करनै बोलीयौ। कंवरजी राज सरीषा धणो' । तिणसुं मोनै दूष कुण दै। पिण निबो सेवालोत धणीयारो हासो' करावै नै पाप ही करै। वलै गढ मांहै पैषारो करैनै पोढे11 । तिका मन माहै पाई। ___ तरै वीरमदेजी कह्यौ। म्है पंजून बांह दीनी छै तिणसुं कांई कैहणी आवै न्ही । थारै बापरै वैरमै मारै तो मार उतार । ___इसो सुणनै वीजडीयै कयौ। धणीयांरा माथै हाथ छै तो सोगै. १. बीजै दिन - दूसरे दिन : २. डेरो दिरायो - ठहरनेका स्थान दिलाया। ३. मोदी भलायो - भोजनादि सामान इच्छानुसार ठिकानेको ओरसे देते रहने के लिये ___ मोदीको (दुकानदारको) ताकीद की। ४. तिणरो- उसका। ५. दहीयो परणीयो बैठो रहै - पाठ ग. प्रतिमें नहीं है। ६. षवासी कर छ - पासमें रह कर सेवा करता है। ७ ऑष भरी-प्रांखोंमें आँसू भरे। ८, क्यूं दीन्ही - क्यों ? तुमको किसने दुख दिया ? ६. धणी - स्वामी। १०. हासो -हँसी। ११. पोढे – सोता है। १२. बांह - वचनसे तात्पर्य है। १३. साग- वास्तवमें । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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