Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 73
________________ ४० ] प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात 6 बार कीधा' । र गढ तोड़बाका सारा ही सामान साथ लीधा । बडी बडी तोपां घणां जूटां स्त्री [ थी ] षीची हालें । जिकांरै पाछे मस्त हाथी टला देणनूं चाले । बाणांरा उट ठाठड्यांका थाट | जिकांमैं बडी छोटी केई घाट । वडा ऊंचा रिण गढ । तिकांसूं गढ लगायनै घणा छछोहा' रजपूत होय जिके तुरत ही जाय चढ़ | नीसरणिया ' गाडा उंटां उपरा धराई । दारु' सीसा" लोह सिणरी " गाडियां ऊपर भार" भराई । बेलदार पर कुहाड़ी बरदार जिकांरी जमात दस हजार । जिके बनकटी' " करें पर मोरचा बणावै । सुरंगां षोदै अरु दमदमा चुनावै । रुईरी बरकियांरा' " गाडा । जिके बंदक भरबानूं आवे आडा" । लकड़ियांरा तिवाव'" । तिकांसू भुरजां ' षोदबारा दाव । छकड़ा भरिया जालियां " फेर देणी कितराहेक 2 .13 4 15 17 18 19 20 १. डेरा बारे कीधा - तम्बुनोंको बाहर निकाला । २. तोड़बाका - तोड़नेके । ३. घरां हाल- बहुत समूहोंसे खींचने पर चिले । ४. टला - धक्का | ५. बारणंका थाट - बाणोंसे लदे हुए ऊंड और ठाठड़ियोंके समूह । ठाठड़ियों में तीर भरे जाते थे । . ६. केई घाट - कई प्रकारकी । ७. छछोहा - तेज, चंचल | ८. नीसरणिया- सीढ़ियां । ६. दारु - बारूद ( दारूका अर्थ मदिरा भी होता है किन्तु यहां बारूदसे तात्पर्य है ) । सीसा - शीशे श्रर्थात् जस्त से बनी गोलियोंसे तात्पर्य है । १०. ११. सिगरी सनकी, जूटकी । तोपों और बन्दूकोंको भरने श्रादिके लिये इसकी श्रावश्यकता होती है। १२. ऊपर भार निकलते बोमें, बहुत । हुए १३. बेलदार'''बरदार - मजदूर और भारवाही श्रादि । १४. बनकटी करे - जंगलोंकी कटाई आदि । - १५. दमदमा - एक प्रकारकी तोपें । १६. बरकियांरा - रूईके जमे हुए परत । १७. श्रावै प्राडा - सहायक बनें । १५. तिवाद - तिपाये । १६. भुरजा - बुजें । २०. जालियां - सामान लादने, बाँधने श्रादिके लिए जालियोंकी ( बकरीके बालोंकी श्रथवा खीपकी बुनी पट्टी) श्रावश्यकता होती है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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