Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात
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बार कीधा' । र गढ तोड़बाका सारा ही सामान साथ लीधा । बडी बडी तोपां घणां जूटां स्त्री [ थी ] षीची हालें । जिकांरै पाछे मस्त हाथी टला देणनूं चाले । बाणांरा उट ठाठड्यांका थाट | जिकांमैं बडी छोटी केई घाट । वडा ऊंचा रिण गढ । तिकांसूं गढ लगायनै घणा छछोहा' रजपूत होय जिके तुरत ही जाय चढ़ | नीसरणिया ' गाडा उंटां उपरा धराई । दारु' सीसा" लोह सिणरी " गाडियां ऊपर भार" भराई । बेलदार पर कुहाड़ी बरदार जिकांरी जमात दस हजार । जिके बनकटी' " करें पर मोरचा बणावै । सुरंगां षोदै अरु दमदमा चुनावै । रुईरी बरकियांरा' " गाडा । जिके बंदक भरबानूं आवे आडा" । लकड़ियांरा तिवाव'" । तिकांसू भुरजां ' षोदबारा दाव । छकड़ा भरिया जालियां " फेर देणी कितराहेक
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१. डेरा बारे कीधा - तम्बुनोंको बाहर निकाला ।
२. तोड़बाका - तोड़नेके ।
३. घरां हाल- बहुत समूहोंसे खींचने पर चिले ।
४. टला - धक्का |
५. बारणंका थाट - बाणोंसे लदे हुए ऊंड और ठाठड़ियोंके समूह । ठाठड़ियों में तीर भरे जाते थे ।
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६. केई घाट - कई प्रकारकी ।
७. छछोहा - तेज, चंचल |
८. नीसरणिया- सीढ़ियां ।
६. दारु - बारूद ( दारूका अर्थ मदिरा भी होता है किन्तु यहां बारूदसे तात्पर्य है ) ।
सीसा - शीशे श्रर्थात् जस्त से बनी गोलियोंसे तात्पर्य है ।
१०.
११. सिगरी सनकी, जूटकी । तोपों और बन्दूकोंको भरने श्रादिके लिये इसकी श्रावश्यकता होती है।
१२. ऊपर भार निकलते बोमें, बहुत ।
हुए
१३. बेलदार'''बरदार - मजदूर और भारवाही श्रादि ।
१४. बनकटी करे - जंगलोंकी कटाई आदि ।
-
१५. दमदमा - एक प्रकारकी तोपें ।
१६. बरकियांरा - रूईके जमे हुए परत ।
१७. श्रावै प्राडा - सहायक बनें ।
१५. तिवाद - तिपाये ।
१६. भुरजा - बुजें ।
२०. जालियां - सामान लादने, बाँधने श्रादिके लिए जालियोंकी ( बकरीके बालोंकी श्रथवा खीपकी बुनी पट्टी) श्रावश्यकता होती है ।
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