Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात सरदार । ताता रजपूतांमैं ही तीष चोषरी बात' अषियातरो उबारणहार। तिको रजपूतांरी तो ईण भांत रजपूती अखियात निधान रहसीं । अर ईण बातरा रीझवार रीझिया रीझै छै अर रीझ रहसी।
घणां काचा क्रपणांन तो न उपजै चाव। उलटो पड़े सरमंदगीरो डाव । अर ताता तीषा रजपूतांनै चोंप चढावै । अर रंग चढावै । त्यौ त्यो बात पढे त्यौं त्यौं रंग चढे ।
दोहा काचा धन सांचा कितां, चितां न उपजे चाव । मरदां सुण ई[इ]ण बात मन, चव गुण छाक चढाव ॥ १ धाक पड़े जिण अरि धरा, डाक बजै जिण दिन । छाक चढे जिण छत्रवट, वै मसताक' सु मन ॥ २ जंग अथगां जूटवै, धन वड़ बागां धूत । भिड़ण भाभरा भूत व्है, रीझै सो रजपूत ॥ ३ रहै न तन धन राषिया[i], कीधा कीधां] जतन किरोड़ । मांन लहै मरदां भला, महि सुण बात मरोड़ा ॥ ४ १. ख. प्रति यहांसे प्रागे त्रुटित है। २. अषियातरो उबारणहार - प्राख्यातको प्रसिद्ध करने वाला, सुयशमें लिखे गये
काव्यको अमर करने वाला। ३. काचा क्रपरणांन - कमजोर कायरों को। ४. सरमंदगीरो डाव-लज्जित होना। ५. काचा - कच्चे, कमजोर, कायर । ६. धन सांचा-धनका सञ्चय करने वाले । ७. मरदां - मर्द, वीर । ८. चव''चढाव - चौगुना उत्साह बढ़ता है। ६. डाक दिन - जिस दिन युद्धका नगारा बजता है। १०. मसताक - मस्त । ११. जंग अथगां जूटवै - युद्ध में भारी समूह वीरतापूर्वक युद्ध करते हैं । १२. धज वड़ बागां - युद्ध-वाद्य बजने पर । १३. भाभरा भूत व्है - प्रत्यन्त क्रोधित हो। राजस्थानमें भाभरा नामक क्रोधी भूतकी
कथा कही जाती है। १४. मांन लहै मरदां भला- श्रेष्ठ वीर मान प्राप्त करते हैं। ग. और घ. प्रतियों में दोहोंके
पश्चात् निम्नलिखित सोरठा अधिक हैसोरठा-विद्या जां लग चूर, भणसी लिखसी वांचसी।
त्यां लग रावत सूर, पतो कमो रहसी प्रसिध ॥ १५. महि सुण बात मरोड़ -- संसारमें उनको वीरताकी बात सुनी जाती है।
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