Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात रीझ रीझवार वार न्हापै छै। अरु गोलीरी चोटर्नु सराहे छै। केई केई सिरदार (गोलीरी चोटनु सराहे छै) गौळी बाहतां प्रापरी राणियां ठकुराणिया हेत-हांसीरी' बातां करै छै । जौ अपछरा म्हांनू बरणरी मन माह धरै छै । सो कांई हुवो। अपछरा आसी। थांरी तो हुई रहसी . दासी । पर करसी षवासी।
तिको ठकुराणियां भी हसनै कहै छै। अपछरा म्हारी बरोबर मुरातब क्यो कर लहै छै । ईण भांत चोंप चाव माहो माह हित हरष बढावै छै । बंदुकां पर प्याला एकण साथ भर रह्या छै। केई केई बारला आय कोटरी भीतसूं निपट नेडा भिड़िया छ । अर कटारीत्रांसू षोदबान" अड़िया छ ।
त्यारै उपरै केसर पतंग रंगरी धार पिचकारियां तीरकसांमै घाली थकी छूटै छै । अर बंदुकांरा भी मारिया फूट छै। कांगरां ऊपरांतूं गुलाळां अबीरांरा थैलारी घमरोळ पड़े छ । अर मतवाळा भी गुडै छ ।
ईण भांत फांग नै षागरों" षेल दोन्यूं ही मांच रह्या छै" । गेहर11 पिण नाच रह्या छ । अर कठे ही म्हाभारथ भी बांच रह्या छै18। केई केईक सासत्रोक बिधान अवसांण समैयारै उपर निरकुरा! १. हेत हांसीरी- प्रेम और हंसीको। २. षवासी-पासमें रहनेकी सेवा। ३. मुरातब - सम्मान, पद । ४. बंदुकां' रह्या छ- बन्दूक और प्याले एक साथ भरे जा रहे हैं। इन शब्दोंसे
मुगल शासनके अन्तिम कालके युद्धोंको पतनोन्मुख स्थिति प्रकट होती है। ५. बारला - बाहरके। ६. निपट नेड़ा - बहुत निकट। ७. षोदबाने - खोदनेके लिये। ८. तीरकसांमै - तरकसोंमें । ६. षागरो- तलवारका । १०. मांच रह्या छ - मच रहे हैं। ११. गेहर - होलीके दिनोंमें पुरुषों द्वारा छड़ियां बजाते हुए नाचा जाने वाला एक
वृत्त-नृत्य। १२. म्हांभारथ - महाभारत, राजस्थानमें महाभारथ नामक एक कथा गीत अर्थात् पवाड़ा
भी प्रचलित है। संभवतः यह प्राचीन महाभारतका ही प्रचलित रूप है। १३. बांच रह्या छ - पढ़ रहे हैं । सं०-वाचन । १४. निरकुरा-वैरागी, उदासीन ।
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