Book Title: Rajasthani Sahitya Sangraha 02
Author(s): Purushottamlal Menariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
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प्रतापसिंघ म्होकमसिंघरी वात
[ ३१ ईणनूं रुसाय' कुण आगवण करै। ईणसू आदमी कुण जो अडै । जिणसूं देव दाणव ही बिमुहा षडै । दोहा-संके बंका सात्रुहर, सूर पराक्रम सेर ।
अवरंग साह अवलिया, जग सहो कीधो जेर* ॥ १ राह दलां रषे रजा', पहो मनह षेपण । अभंग नवू षंड' उपरा, अवरंग फेरी पारण ॥२
बात
ईसड़ो अवरंगसोह पातसाह । तिणरो पोतो अजीमसाह । नरनाह । बिजाई° पातसाह ।। दोहा-भारथ पारथ ज्यूं भिड़, सकजापगरी सीमा । गुमर न दूजांचो गिणे, एहो स्याह अजीम ।।
बात जिकण अजीमसाहनुं बंगालारो सोबो दे बिदा कीधो। जिण बंगालामैं साठ हजार पठांगांरो फसाद उठियो तिकण मार लीधो। तिकणरी तईनातीमैं नाजर15 १ पातसाह कींधो । जिका पातसाहरो
१. रुसाय -- क्रोधित कर। २. बिमुहा षड़े – मुंह फेर कर भागते हैं । ३. बंका सात्रुहर - बांके शत्रु। ४. जग' 'जेर - जिसने सारे जगतको व्यथित कर दिया है। ५. रषे "रजा - सेनाको अपनी प्राज्ञासे रास्ते पर अर्थात व्यवस्थित रखता है। ६. पोह' 'षेपांरण - मन में जबरदस्त ; नाश करने वाला। ७. नवू पंड - पृथ्वीके नव खण्ड, भारत, इलावृत, किंपुरुष, भद्र, केतुमाल, हरि,
हिरण्य, रम्य और कुश। ८. पोतो-प्रपौत्र। ६. अजीमासाह - पोरंगजेबके शाहजादे मुअज्जमका द्वितीय पुत्र अजीमुश्शानसे तात्पर्य है। १०. बिजाई - दूसरा हो। ११. भारथ भिड़े - युद्ध में अर्जुनकी तरह लड़ता। १२. सक जापणरी सीम - परम पराक्रमी। १३. गुमर रि.रण - किसी दूसरेका गर्व नहीं मानता । १४. बंगालारो सोबो - बंगालका सूबा। १५. नाजर - शाही महलों में प्रायः नपुंसक नाजिरका (निरीक्षकका) काम करते थे।
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