Book Title: Pushkarmuni Abhinandan Granth
Author(s): Devendramuni, A D Batra, Shreechand Surana
Publisher: Rajasthankesari Adhyatmayogi Upadhyay Shree Pushkar Muni Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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शभकामना
प्रोफेसर चन्द्रदेव सिंह, पी एच० डी० (कॉरनेल)
मगध विश्वविद्यालय कुलपति
बोध गया (बिहार)
पत्रांक ६/५
दिनांक २-१२-१९७७ महोदय,
यह हार्दिक प्रसन्नता की बात है कि अध्यात्म जगत के अधिकारी तथा उन्नत योगीराज श्री श्रीपुष्कर मुनि जी महाराज की सघन साधना के चौवनवें वर्ष की समाप्ति के परम पावन उपलक्ष्य पर, एक उच्च कोटि का प्रामाणिक अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित करने का आपने निर्णय किया है। हजारों वर्षों से हमारी संस्कृति की अजस्र धारा जो इन महानुभावों के माध्यम से निरन्तर प्रवाहित होकर जीवन की भिन्न-भिन्न अवस्थाओं का परिष्कार कर सदा सद्गति की ओर अभिमुख करती रही है, उसके लिए यह देश चिरकाल से उनका ऋणी रहता आया है। अतः ऐसे ही महापुरुष श्री-श्री पुष्कर मुनि महाराज जी के प्रति अपनी भावनाओं को अर्पित करने का आपका यह प्रयास श्लाघनीय है। अपनी शुभकामनाओं के साथ
भवदीय (१०) डा० सी. डी. सिंह
दे. अ. दाभोलकर
पुणे विद्यापीठ कुलगुरु
गणेशखिंड, पुणे-७
व्हीसी-६८५
दिनांक ५-११-१९७७ प्रिय महोदय,
आपका पत्र प्राप्त हुआ । यह प्रसन्नता का विषय है कि आप जैसे श्रद्धालु सज्जन राजस्थानकेसरी, अध्यात्मयोगी, उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि महाराज को श्रद्धा सुमन के रूप में अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित कर रहे हैं।
अध्यात्म एवं अध्यात्म के मूल में निहित किसी शाश्वत ज्ञान का उपासक भारत यदि अध्यात्मयोग में लीन मुनियों का अभिनन्दन सोत्साह करता है तो यह निश्चित ही एक स्तुत्य कार्य है ।
मैं यह जानकर बहुत ही प्रसन्न हूँ कि श्री पुष्कर मुनि महाराज अध्यात्मयोग की तेजस्वी एवम् यशस्वी साधना में ५४ वर्षों से निरन्तर निरत है। वे अनन्त काल तक अपनी प्रशस्त साधना से समस्त विश्व का श्रेयसम्पादन करें यह मेरी उत्कट अभिलाषा है।
आप श्रद्धालु महानुभावों के इस पावन कार्य की सांगोपांग पूर्ण सम्पन्नता के लिये मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ व्यक्त करता हूँ।
भवदीय (ह०) दे. अ. दाभोलकर
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