Book Title: Pratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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आचारदिनकर (खण्ड-३)
"काश्मीरजलसुविलिप्तं बिम्बं तन्नीरधारयाभिनवम् ।
सन्मंत्रयुक्तया शुचि जैन स्नपयामि सिद्ध्यर्थम् ।।" इन सभी वस्तुओं से जिनबिम्ब को आलेपित करें तथा इन्हीं वस्तुओं से वासित जल से स्नान कराएं। प्रत्येक अभिषेक के पश्चात् और अग्रिम अभिषेक के पूर्व बीच-बीच में चंदनपूजा, पुष्पपूजा एवं धूपपूजा करे। तत्पश्चात् दर्पण में बिम्ब के आदर्श को निम्न मंत्र से देखें
कराएं
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कराएं
30 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक- पौष्टिककर्म विधान
"आत्मावलोकनकृते कृतिनां यो वहति सच्चिदानन्दम् ।
भवति स आदर्शोयं गृह्णातु जिनेश्वरप्रतिच्छन्दम् ।।" तत्पश्चात् तीर्थोदक से निम्न छंदपूर्वक उन्नीसवाँ अभिषेक
जलधिनदीद्रहकुण्डेषु यानि सलिलानि तीर्थशुद्धानि ।
तैर्मंत्रसंस्कृतैरिह बिम्ब स्नपयामि सिद्ध्यर्थम् ।। " फिर निम्न छंदपूर्वक कर्पूरमिश्रित जल से बीसवां स्नान
"शशिकरतुषारधवला निर्मलगन्धा सुतीर्थजलमिश्रा | कर्पूरोदकधारा सुमंत्रपूता पततु बिम्बे ।। " तत्पश्चात् निम्न छंदपूर्वक पुष्पांजलि अर्पण करें - “नानासुगन्धपुष्पौघरंजिता चिंचिरीक कृतनादा । धूपामोदविमिश्रा पततात्पुष्पांजलिर्बिम्बे । ।" फिर उसके बाद निम्न छंदपूर्वक एक सौ आठ मिट्टी के कलशों के शुद्ध जल से इक्कीसवाँ अभिषेक कराएं
“चक्रे देवेन्द्रराजैः सुरगिरिशिखरे योभिषेकः पयोभिर्नृत्यन्तीभिः सुरीभिर्ललितपदगमं तूर्यनादैः सुदीपैः ।
कर्तुं तस्यानुकारं शिवसुखजनकं मंत्रपूतैः सुकुम्भैर्बिम्बं जैनं प्रतिष्ठाविधिवचनपरः पूजयाम्यत्र काले ।।"
तत्पश्चात् गुरु बाएँ हाथ में अभिमंत्रित चन्दन लेकर दाएँ हाथ से प्रतिमा के सर्व अंगों पर आलेपन करें। चंदन को सूरिमंत्र या अधिवासनामंत्र से अभिमंत्रित करें। अधिवासनामंत्र इस प्रकार है “ॐ नमः शान्तये हूँ हूँ हूँ सः । “
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