Book Title: Pratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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आचारदिनकर (खण्ड-३) 46 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान मंत्र - “ॐ नमः श्री अचिरायै शान्तिस्वामिजनन्यै भगवति श्री अचिरे इह प्रतिष्ठा शेष पूर्ववत् बोलें।
श्रियामाता की पूजा के लिए - छंद - "हस्तिनापुरवासिन्यै प्रियायै शूरभूपतेः।
नमः श्रियै श्रियां वृद्धिकारिण्यै करुणावताम् ।।" मंत्र - “ऊँ नमः श्री श्रिये श्री कुंथुनाथजनन्यै भगवति श्रीः इह प्रतिष्ठा...... शेष पूर्ववत् बोलें।
श्रीदेवीमाता की पूजा के लिए - छंद - "सुदर्शनस्य कान्तायै नमो हस्तिपुरस्थिते।
तुभ्यं देविमहादेवि भृत्यकल्पद्रुमप्रभे ।।" मंत्र - “ॐ नमः श्री देव्यै अरनाथजनन्यै भगवति श्री देवि इह प्रतिष्ठा....... शेष पूर्ववत् बोलें।"
प्रभावतीमाता की पूजा के लिए - छंद - "मिथिलाकृतसंस्थाना कुम्भभूपालवल्लभा।
प्रभावती प्रभावत्यै देह स्थित्यै सदास्तु नः ।।" मंत्र - “ॐ नमो भगवत्यै श्री प्रभावत्यै श्री मल्लिनाथजनन्यै भगवति श्री प्रभावति इह प्रतिष्ठा..... शेष पूर्ववत् बोलें।"
पद्मामाता की पूजा के लिए - छंद - "श्री मद्राजगृहावासा सुमित्रक्ष्मापतिप्रिया।
पद्मा पद्मावबोधं नः करोतु कुलवर्द्धिनी।।" मंत्र - “ॐ नमः श्री पद्मायै श्री सुव्रतस्वामिजनन्यै भगवति श्री पद्मे इह प्रतिष्ठा..... शेष पूर्ववत् बोलें।
वप्रामाता की पूजा के लिए - छंद - "मिथिलाकृतसंस्थाने विजयक्ष्मापवल्लभे।
वप्रे त्वं वप्रतां गच्छ क्रोधादि द्विड्भयादिषु ।।" मंत्र - “ॐ नमः श्री वप्रायै नमिनाथजनन्यै भगवति श्री वप्रे इह प्रतिष्ठा..... शेष पूर्ववत् बोलें।" ।
शिवामाता की पूजा के लिए - छंद - "श्री सौर्यपुरसंसक्ता समुद्रविजयप्रिया।
शिवा शिवं जिनार्चायां प्रददातु दयामयी।।"
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