Book Title: Pratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
View full book text
________________
आचारदिनकर (खण्ड-३) 194 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान
मूलनक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ऊँ षुषा नमो निर्ऋत्ये स्वाहा ।"
"ऊँ नमो नैऋताय मूलाधीशाय नैऋते इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् ।" (एकवचन में)
पूर्वाषाढ़ानक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ वं वं नमो जलाय स्वाहा।"
“ॐ नमो जलाय पूर्वाषाढा स्वामिने जल इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत्।" (एकवचन में) ।
उत्तराषाढ़ानक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ विश्व विश्व नमो विश्वदेवेभ्यः स्वाहा।"
“ॐ नमो विश्वेदेवेभ्यः उत्तराषाढ़ास्वामिभ्यः विश्वेदेवा इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत्।। (बहुवचन में)
अभिजितनक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ ब्रह्म-ब्रह्म नमो ब्रह्मणे स्वाहा।'
“ॐ नमो ब्रह्मणे अभिजिदीशाय ब्रह्मन् इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् । (एकवचन में)
श्रवणनक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ अं नमो विष्णवे स्वाहा।"
"ऊँ नमो विष्णवे श्रवणाधीशाय विष्णो इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् । (एकवचन में)
धनिष्ठानक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ नमो वसुभ्यः स्वाहा।
"ऊँ नमो वसुभ्यो धनिष्ठेशेभ्यः वसवः इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् । (बहुवचन में)
शतभिषानक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ वं वं नमो वरुणाय स्वाहा।'
"ॐ नमो वरुणाय शतभिषगीशाय इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् । (एकवचन में)
पूर्वाभाद्रपदानक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - “ॐ नमो अजपादाय स्वाहा।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org