Book Title: Pratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 272
________________ आचारदिनकर (खण्ड-३) 228 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक- पौष्टिककर्म विधान प्रारम्भ में, सभी प्रतिष्ठाओं में एवं राज्याभिषेक के समय शान्तिक तथा पौष्टिक इन दोनों कर्मों को करें। - इस प्रकार वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर में उभयधर्म, अर्थात् गृहस्थधर्म और मुनिधर्म के स्तम्भरूप पौष्टिककर्म कीर्तन नामक यह पैंतीसवाँ उदय समाप्त होता है । Jain Education International +++ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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