Book Title: Pratishtha Shantikkarma Paushtikkarma Evam Balividhan
Author(s): Vardhmansuri, Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur
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आचारदिनकर (खण्ड-३) 195 प्रतिष्ठाविधि एवं शान्तिक-पौष्टिककर्म विधान
__“ॐ नमो अजपादाय पूर्वाभद्रपदेश्वराय अजपाद इह शान्तिके.. शेष मंत्र पूर्ववत्। (एकवचन में)
उत्तराभाद्रपदानक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - मूलग्रंथ में इस नक्षत्र का मूलमंत्र नहीं दिया गया
“ॐ नमो अहिर्बुध्न्याय उत्तराभद्रपदेश्वराय अहिर्बुध्न्य इह शान्तिके...... शेष मंत्र पूर्ववत् ।' (एकवचन में)
रेवतीनक्षत्र की पूजा के लिए - मूलमंत्र - "ॐ घृणि-घृणि नमः पूष्णे स्वाहा।"
“ॐ नमः पूष्णे रेवतीशाय पूषन् इह शान्तिके....... शेष मंत्र पूर्ववत् । (एकवचन में)
। तत्पश्चात् निम्न मंत्र से सर्वनक्षत्रों की सामूहिक पूजा करें तथा उस पीट पर अट्ठाईस हाथ-परिमाण का वस्त्र ढक दें -
____ “ॐ नमः सर्वनक्षत्रेभ्यः सर्वनक्षत्राणि सर्वनक्षत्रेशा इह शान्तिके आगच्छन्तु- आगच्छन्तु इदम् आचमनीयं गृह्णन्तु-गृह्णन्तु सन्निहिता भवन्तु-भवन्तु स्वाहा जलं गृह्णन्तु-गृह्णन्तु गन्धं अक्षतान् फलानि मुद्रां पुष्पं धूपं दीपं नैवेद्यं गृह्णन्तु-गृह्णन्तु सर्वोपचारान् गृह्णन्तु-गृह्णन्तु शान्तिं कुर्वन्तु-कुर्वन्तु तुष्टि-पुष्टिं ऋद्धिं वृद्धिं कुर्वन्तु-कुर्वन्तु सर्वसमीहितं ददतु-ददतु स्वाहा।'
फिर नंद्यावर्त्त-पूजन की भाँति पंचम पीठ पर नवग्रहों की पूजा करके उस पर नौ हाथ-परिमाण का वस्त्र ढक दें। छठवें पीठ पर नंद्यावर्त्त-पूजन की भाँति सोलह विद्यादेवियों की पूजा करके उसे सोलह हाथ-परिमाण वस्त्र से ढक दें। सातवें पीठ पर (स्थित) गणपति की पूजा निम्न मंत्र से करें तथा विशेष रूप से मोदक का नैवेद्य चढ़ाएं
मूलमंत्र - "ऊँ गं नमो गणपतये स्वाहा।"
“ॐ नमो गणपतये सायुधाय सवाहनाय सपरिकराय गणपते इह शान्तिके...... शेष पूर्ववत्।“ (पुल्लिंग एकवचन में)
कार्तिकेय की पूजा के लिए निम्न मंत्र बोलें - मूलमंत्र - “ऊँ क्लीं नमः कार्तिकेयाय स्वाहा।"
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