Book Title: Pratikraman Author(s): Dada Bhagwan Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust View full book textPage 8
________________ समर्पण अतिक्रमण ची तांडे अनंत; कर्मांचा क्षणे क्षणे होत आहे बंधन ! मोक्ष तो कुठे, धर्म धरे मौन; पायवाट मार्गस्थ, चढवे कोण ? अक्रम विज्ञानी दादा तारणहार; प्रतिक्रमणचे दिले हत्यार ! मोक्ष मार्गचा खरा साथीदार; ताज बनून शोभवे दादा दरबार ! 'प्रतिक्रमण' संक्षिप्तात क्रियाकार; सोडवे बंधन मूल अहंकार ! प्रतिक्रमण विज्ञान अत्रे साकार; समर्पण विश्वला, मचाव जयजकार ! 7 - डॉ. नीरुबेन अमीनPage Navigation
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