Book Title: Prashno Ke Uttar Part 1
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

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Page 10
________________ भी दृढ़ता प्रा गई । अन्त मे, मैंने जैनधर्म-दिवाकर प्राचार्य-सम्राट पूज्य गुरुदेव श्री के चरणो का आश्रय ले कर इस काम को चाल कर दिया। और लगभग सात महीनो मे एक पुस्तक तैयार करली । जो "प्रश्नो के उत्तर" इस नाम से आप के सामने है। इस पुस्तक मे जैनधर्म-सम्बन्धी प्रश्नो के उत्तर लिखे गए है। पहले प्रश्न और फिर उस का उत्तर,इस पद्धति से इसकी रचना की गई है। इसलिए इस पुस्तक का "प्रश्नो के उत्तर" यह अन्वर्थ नामकरण किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक दो खण्डो मे विभक्त है। पहले खण्ड मे दार्शनिक एवं तात्त्विक चर्चा और द्वितीय खण्ड मे धार्मिक एव सैद्धातिक वि. चार चर्चा है । प्रत्येक खण्ड मे नव-नव अध्याय हैं । इस तरह पूरी पुस्तक मे निम्न १८ अध्याय हैं१ जेनधर्म २ तत्त्व-मीमामा ३ बन्ध-मोक्ष मोमासा ४ जैनधर्म का अनादित्व ५ आस्तिक-नास्तिक समीक्षा ६ ईश्वर-मीमासा ७ जैनधर्म और वैदिक धर्म ८ जैनधर्म और वौद्धधर्म ९ जैनधर्म और चार्वाक १० सप्त-कुव्यसन-परित्याग ११ ग्रागार धर्म १२ अनगार धर्म १३ चौवीस तीर्थकर १४ स्थानकवासी और अन्य जैन सम्प्रदाए १५ जैनपर्व १६ भाव पूजा १७ जैनधर्म और विश्व समस्याए १८ लोक स्वरूप इस पुस्तक के उक्त अध्यायो मे जिन वातो, का विवेचन दिया गया है, उनको सकलित करने मे मुझे अनेको ग्रन्थो और पुस्तको को देखना पडा है। उन सब का नामनिर्देश इसी पुस्तक मे अन्यत्र किया जा रहा है । मैंने इन ग्रन्थो और पुस्तको के कही भाव लिए हैं कहा

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