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शतकनामा पंचम कर्मग्रंथ. ५
मुहूर्त्तमां होय, जे जणी रोग रहित बलिष्ट निश्चिंत एवा तरुण पुरुषना सात श्वासोश्वासे एक थोव थाय. एवा सात थोवें एक लव एटले उगणपञ्चाश श्वासोश्वासें एक लव थाय. एवा सत्तोतेर लवें एक मुहूर्त्त थाय, तेने उगणपच्चाश गुणा करतां त्रण हजार सातसें ने तहोंत्तर श्वासोश्वास अंतर मुहूर्त्तमां थाय. कोइक श्राचार्य नाडीना उलालाने पण श्वासोश्वास कहे बे. छाने बसें उपन्न यावली प्रमाण एक क्षुल्लक जव होय. एवा पांशठ हजार पांचरों ने बवीश कुल्लक जवे एक अंतरमुहूर्त्त थाय, तेथी बसें उपन्नने पांशठ हजार पांचसें ने बवीस सायें गुणतां एक क्रोम, शडशव लाख, सीत्तोतेर हजार, बसें ने शोल, एटली आवली थाय, तेने साडत्रीशसें ने तहों - तेर श्वासोश्वासें वचीयें, तेवारें चुम्मालीशसें ने बेंतालीश आवली एक श्वासोश्वास मां होय, ने शेष वे हजार चारसें ने अहावन घावली रहे, तेने साडीशसें तेरो नाग नावे, तेमाटें एक आवलीना साडीश ने तहोंतेर जाग करीयें. तेवा चोवीश ने श्रावन्न अंश चुम्मालीश ने समतालीसमी छावलीना उपर लाने. एटले एक श्वासोश्वासना क्षुल्लक जव सत्तर, ते एकेका क्षुल्लक जवनी बसें बपन्न यावलीने सत्तर गुणा करतां तेंतालीश ने बावन्न थाय. शेष चोराएं आवली पूर्ण पंच्चामावलीना साडत्रीशसें तहोतेरीया चोवीश ने अहावन जाग उपर, एटलो अढारमा जवन काल गये थके एक श्वास पूर्ण थायः ॥ ४० ॥
पण सठि सदस पण सय, बत्तीसा इग मुहुत्त खुड्ड नवा ॥ प्रावलियाणंदोसय, उप्पन्ना एग खुड्ड नवे ॥ ४१ ॥
अर्थ - हवे पण सहसासयबत्तीसा के पांव हजार, पांचों ने छत्रीश, एटला इगमुदुत्तखुडुनवा के एक मुहूर्त्तना मुलक जव थाय, तेने साडत्रीशसें ने तहोंतेर श्वासोश्वासें वर्हेचीयें, तेवारें एक श्वासोश्वासमां सत्तर जव पूर्ण अने उपर सामत्रीश तहोंतेरीच्या तेरसें ने पंच्चाणु जाग वधे, अने अढारमा नवमां ( ३७७३ ) जाग पूर्ण होय तेवारें जब पूर्ण थाय, मादें शेष अढारमा जवमां ( २३७८ ) छागला श्वासोश्वासना शमां आवे तेवारें जब पूरो थाय, अने वे श्वासोश्वासमां हे चोश्रीश जव पूर्ण थाय. अने पांत्रीशमा जवना ( ३११३ ) तेरीया ( २७५० ) अंश पांत्रीशमा जवना वधे, तथा त्रण श्वासोश्वासमां बावन जव पूरा थाय, अने त्रेपनमा
मां (३०७३ ) तेरीया चारसें ने बार अंश पूराय अथवा बे श्वासोश्वासमां पांत्रीश जव गणीयें, तो शेष (९८३) अंश घटे, एम स्वमतें विचारी कहेवा. एम निगोदिउँ Mata एक श्वासोश्वासांहे सत्तर जव जाजेरा करे.
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