Book Title: Prakarana Ratnakar Part 4
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 823
________________ ១ប០ सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६ बंधस्थानकें होय. एम पांच बंधस्थानकना एकसो ने त्रीश जांगा बेंजिय पर्याप्तान थाय. तेम तेंजिय पर्याप्ताना तथा चौरिंजिय पर्याप्ताना पण एटलाज नांगा जाणवा. तथा श्रसन्नी पंचेंजिय पर्याप्ताने पण त्रेवीश, पच्चीश, बबीश, उगणत्रीश अने त्रीश, ए पांच बंधस्थानकें तो प्रत्येके विकलेंजियनी पेरें बबीश बबीश जांगा गणतां (१३०) सत्तानां स्थानक थाय, अने अहावीशने बंधे त्रीश अने एकत्रीश, ए बे उदयस्थानक होय. तिहां एकेका उदय बाणु, अठ्याशी अने ज्याशी, ए त्रण सत्तास्थानक होय. तेना नांगा थाय. जे जणी अहावीशनो बंध, देव तथा नरकगति प्रायोग्यज होय, तिहां तो एंशी अने अमोत्तेरनी सत्ता न होय, केमके देव नरकगति प्रायोग्यनो बंध तो पूर्ण पर्याप्तानेज होय. एम शरवाले असंझी पंचेंजियने बंधस्थानके थक्ष उदय सत्ताना नांगा ( १३६) थाय. तथा पर्याप्ता संज्ञी पंचेंजियने त्रेवीशने बंधे तो जेम पूर्वे डबीश सत्तानां स्थानक असंझीने कह्यां, तेम अहींश्रां पण जाणवां, तथा पच्चीशने बंधे एकवीश तथा बबीशने उदयें पांच पांच सत्तास्थानक होय, तथा पच्चीशने उदयें अने देव नारकीने सत्ता. वीशने उदयें, ए बे उदयें बाणु अने अध्याशी, ए बेबे सत्तास्थानक होय, एवं चौद थयां, तथा शेष चार उदयस्थानकें चार चार सत्तास्थानक होय. एम सर्व मली पच्ची. शने बंधे त्रीश सत्तास्थानक होय, तेवीज रीतें बबीशने बंधे पण त्रीश सत्तास्थानक होय.तथा अहावीशने बंधे श्राप उदयस्थानक होय, तेमध्ये एकवीश, पच्चीश, बबीश, सत्तावीश, अहावीश अने जंगणत्रीश, ए ड उदयें बाणु अने अध्याशी, ए बेबे सत्तास्थानक होय. तथा त्रीशने उदयें बाणु, अध्याशी, व्याशी अने एंशी, ए चार सत्तास्थानक होय. अने एकत्रीशने उदयें बाणु, अध्याशी, अने बयाशी, ए त्रण सत्तास्थानक होय. एम सर्व अहावीशने बंधे उगणीश सत्तास्थानक होय. तथा जंग. पत्रीशने बंधे पण पच्चीशना बंधकनी पेरें सत्तास्थानक त्रीशसेवांवली विशेष बीजां पण , ते कहीयें बैयें. अविरति सम्यकदृष्टिने देवगति प्रायोग्य उंगणत्रीश बांधतां १-२६-२७-२५-३०, ए पांच उदयें ए३-ए ए बे बे सत्तास्थानक होय, तथा एज बे बे सत्तास्थानक पच्चीश तथा सत्तावीशने उदयें वैक्रीय देशविर तिने पण होय, अथवा आहारक साधुने पण तेहीज बे उदयें व्याणुनी सत्ता होय. एवं चौद सत्तास्थानक पूर्वला त्रीशमांहे मेलवतां गणत्रीशने बंधे चुम्मालीश सत्तास्थानक होय. एम त्रीशने बंधे पण पञ्चीशना बंधनी पेरें त्रीश सत्तास्थानक लेवां, ते उपर जे विशेष ले, ते कहे डे. मनुष्यगति प्रायोग्य, जिननाम सहित त्रीश बांधतां एकवीश, पच्चीश, सत्तावीश, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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