Book Title: Prakarana Ratnakar Part 4
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 845
________________ ज२० सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ.६ ने उदयें नेव्याशी विना, बाकी तेहीज चार सत्ता, वीकलेंघिय अने तिर्यंच मनुष्यनी श्रपेक्षायें होय, अने नेव्याशीनी सत्ता तो जिननाम बांधी सम्यक्त्व वमी नरकें जाता एवा मिथ्यात्वी नारकीने होय. तिहां तो त्रीशन उदयस्थानक न होय, तथा तेहीज चार सत्तास्थानक एकत्रीशने उदयें पण मनुष्य विना बीजा जीवोने होय जे जणी एकत्रीशनो उदय, सामान्यमनुष्यने नथी, केवलीने दे. एम सर्व थव गणत्रीशने बंधे (४५) सत्ता होय. देवगति प्रायोग्य त्रीशना बंध विना विकलेंजिय तथा पंचेंजिय प्रायोग्य त्रीशने बंधे सामान्य वीश, श्राप अने नव, ए त्रण उदयस्थानक विना बाकीनां नव नदयस्थानक होय, तिहां नेव्याशी विना पांच सत्ता होय जेजणी तिर्यंचगति मध्ये जिननामनी सत्ता न होय. तिहां एकवीश, चोवीश, पच्चीश, श्रने बबीश, ए चार उदयें पांच पांच सत्तास्थानक होय अने बीजा पांच उदयें अघोत्तर विना चार चार सत्तास्थानक होय. एवं नव उदयें थश् चालीश सत्ता होय. अहीं नेव्याशीनुं सत्तास्थान तो देवगति प्रायोग्य आहारकठिक सहित त्रीशने बंधे अने जिननाम सहित मनुष्य प्रायोग्य त्रीशने बंधे होय, ए बेहु मिथ्यात्वीन बांधे. एटले ए मिथ्यात्व गुणगणे ब बंधस्थानकें नव उदयें यश् बसें ने बार सत्तास्थानक होय. हवे साखादने बंधस्थानक कहे जे. साखादने वर्त्ततां श्रहावीश, उगणत्रीश अने त्रीश, ए त्रण बंधस्थानक होय. देवगति प्रायोग्य अहावीशना श्राप नांगा साखादने बंधाय, तेना बांधनार पंचेंजिय तिर्यंच तथा मनुष्य होय अने नरक प्रायोग्य अहावी. शनो बंध तो मिथ्यात्व प्रत्ययि ने तेजणी साखादने न बंधाय तथा पंचेंजियतियंच प्रायोग्य अने मनुष्य प्रायोग्य गणत्रीश प्रकृति बंधना नांगा (६४०० ) नो बंध, एकेंजिय, विकलेंजिय तथा तिर्यंच, मनुष्य, देवता, नरकीने साखादने होय. तिहां हुंम संस्थान अने बेवकुं संघयण न बंधाय, तेथी पांच संघयण अने पांच संस्थान तथा सप्त युगलना विकल्पं करी बत्रीशसें नांगा प्रत्येकें मनुष्य तिर्यंचगति प्रायोग्य गणत्रीशना बंधे होय. ए बेहुना मली (६४०० ) नांगा होय. तथा पूर्वे कह्यो जे एकेंजियादिकने सास्वादने उद्योत सहित त्रीशनो बंध पंचेंजिय तिर्यंच प्रायोग्यज करे, तिहां (३२००) होय. ते पूर्वे विस्तारें कह्या बे, तिहांथी समजी सेवा. शरवाले त्रणे बंधस्थानकें थश्ने नांगा (ए६०७) होय. __ साखादने एकवीश, चोवीश, पञ्चीश, बबीश, उगणत्रीश, त्रीश अने एकत्रीश, ए सात उदयस्थानक होय. तिहां नारकी विनात्रणे गतिना जीवनी अपेक्षायें एकवीशनो .. उदय, बे गतिने विचालें वाटें वदेतां जीवने होय. तिहां उदय नांगा बत्रीश होय. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895 896