Book Title: Prakarana Ratnakar Part 4
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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सप्ततिकानामा षष्ठ कर्मग्रंथ. ६
G०१ ॥ अथ वेदनीय गोत्रयोनंगानार्थ मियं नाष्यगाथा ॥ तिहां वेदनीयकर्म
अने गोत्र कर्मना जांगा जाणवाने माटें नाष्यनी गाथा कहे .॥ चन बस्सु उन्नि सत्तसु, एगे चन गुणिसु वेअणि अनंगा ॥
गोए पण चन दो तिसु, एगऽसु उन्निश्कंमि॥४६॥ अर्थ-उस्सु के मिथ्यात्वथी मांडीने प्रमत्तांत लगें उ गुणगणे अशातानो बंध, अशातानो उदय अने बेहुनी सत्ता; बीजो अशातानो बंध, शातानो उदय अने बेहुनी सत्ता; त्रीजो शातानो बंध, अशातानो उदय अने बेहुनी सत्ता; चोथो शातानो बंध, शातानो उदय अने बेहुनी सत्ता; ए चज के चार नांगा, बहा गुणगणा 'लगें सघलें होय. अने अप्रमत्तथी मांडीने तेरमा गुणगणा सुधीना सत्तसु के सात गुणगणे एक शाताज बांधे माटे, वेदनीयना श्राव नांगा मांहेलो त्रीजो अने चोथो, ए उन्नि के बे लांगा होय. तथा एगेचजगुणिसु के एक अयोगी गुणगणे चार नांगा होय. एक शातानो उदय, बेहुनी सत्ता, बीजो अशातानो उदय अने बेहुनी सत्ता, ए बे नांगा हिचरम समय लगें होय अने चरम समयें एक शातानो उदय बने शातानी सत्ता, बीजो अशातानो उदय अने अशातानी सत्ता, ए बेनांगा होय, एवं चार लांगा होय. ए वेधणिअनंगा के वेदनीयकर्मना आठ नांगा चौद गुणगणे कह्या.
हवे गोत्रकर्मना नांगा गुणगणे कहे . गोए के० गोत्रकर्मना पण केस पांच नांगा पहेले गुणगणे होय, ते कहे . एक नीचगोत्रनो बंध, नीचनो उदय अने नीचनी सत्ता; बीजो नीचनो बंध, नीचनो उदय अने बेहुनी सत्ता; त्रीजो नीचनो बंध, उंचनो उदय अने बेहुनी सत्ता, चोथो उंचनो बंध, नीचनो उदय अने बेहनी सत्ता; पांचमो उंचनो बंध, उंचनो उदय अने बेहुनी सत्ता; ए पांच जांगा, मिथ्यात्व गुणगणे होय, अने साखादन गुणगणे तो पूर्वोक्त मिथ्यात्वना पांच नांगा मांहेलो पहेलो नांगो न होय. बाकी चल के चार नांगा होय, केमके पहेलो नांगो तो तेउ वायु मांहे होय अथवा तेज वान माहेश्री चवीने बीजे स्थानकें अवतरता कैटलोएक काल पर्यंत होय. तिहां तो सम्यक्त्व नथी माटे क्याथी पमीने सास्वादने श्रावे ? तेमाटे प्रथम जंग निषेध्यो तथा मिश्र अने थविरति सम्यक्दृष्टि तथा देशविरति ए तिसु के० त्रण गुणगणे चोथो अने पांचमो, ए दो के बे नांगा होय, केमके नीचगोत्रनो तिहां बंध नथी, ते जणी प्रथमना त्रण नांगा न होय, तथा कोशएक श्राचार्य कहे डे के देशविरतिने एकज पांचमो नांगो होय, परंतु बीजो जांगो
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