Book Title: Pragnapanopang Tritiya Pad Sangrahani
Author(s): Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 20
________________ निग्गोय ५ भू ६ जला ७, मिल ८ अप्पज्जन्त्तागणी ६ परिततरू १० । निग्गोय ११ भू १२ जला १३ मिल १४, सुमाऽगणिणो १५ असंखगुणा ॥ ४९ ॥ तत्तो य अपज्जत्ता सुहुमा भू १६, जल १७ समीरणा १८ अहिया । तेऊ पज्जत्ता संखगुणा १९ भू २०, जल २१ निला २२ अहिया ॥ ५० ॥ अप्पज्जत्त निगोया २३, 'असंवगणिया त एव पज्जन्ता २४ । १७ संविज्जगुणा वायर पज्जन्त्तवणा २५ अनंतगुणा ।। ५१ ।। बायरपज्जत्त जिया २६, अहिया तरु २७ बायरा अपज्जन्ता । अस्संखगुणा बायर अप्पज्जन्त्ता जिया २८ अहिया ॥ ५२ ॥ तरु २९ अपजत्ता सुहुमा, असंख सुहमा ३० हिया अपज्जन्ता । सुहुमा तक ३१ पज्जन्ता संखाहिय सुहुम ३२ पज्जन्ता ।। ५३ ।। दारं ४ | १. "अस्संखगुणा" इत्यपि ।

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