Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 21
________________ स्थान परिचय. जे स्थाने खारवेलनो आ लेख आवेलो छे ते स्थान जैनप्रजाना वासस्थानथी घणा दूर अंतरे आवेलुं छे तेथी तेनी काईक ओळखाण आपवी आवश्यक छे. हिन्दुओ-वैष्णवोनुं प्रसिद्ध तीर्थ जगन्नाथपुरी जे प्रदेशमा आवेलं छे तेने हालमा ओरीस्सा अथवा ओढिया प्रांत कहेवामां आवे छे. ए प्रान्त हिन्दुस्थानना पूर्व भाग उपर बंगालना उपसागरने काठे आवेलो छे. प्राचीनकालमा ए प्रान्त कलिंग देशना नामे प्रख्यात हतो. अंग, बंग अने कलिंग-एम ए त्रगे देशोनी एक त्रिपुटी गणाती. 'प्रज्ञापनासूत्र' ना प्रथम पादमा जे २५॥ आर्यदेशो जणाव्या छ तेमां कलिंगनू पण नाम आपेलु छे अने तेनी मुख्य राजधानी तरीके कांचनपुरी जणावी छ+. ए प्राचीन कलिंग के आधुनिक ओरीस्सा प्रांतमां कटक शहेर नजीक भुवनेश्वर करीने एक प्रसिद्ध स्थान छे तेनी पासे आ लेखवाळी 'खंडगिरि अने उदयगिरिनी टेकरीओ जेने खंडगिरि ज कहे छे ते ( २०१६' उ. अक्षांश, अने ८५°४७' पू० रेखांश ) भुवनेश्वरथी उत्तर-पश्चिममां ४-५ माइल दूर आवेली छे. आ बे टेकरीओनी वचमां भुवनेश्वरना मार्गने अनुसरनारी एक खीण छे. अॅटघरथी चीलका सरोवर तरफ जता एक रेताळ पत्थरो + रायगिह मगह, चंपा अंगा, तह तामलित्ति पंगा य । ___ कंचणपुरं कलिंगा, वाणारसी चैच कासी य । परंतु ब्राह्मणोना आदित्यपुराणमां तो आ देशोने अनार्य गणाव्या छे अने एमां जवाथी ब्राह्मणो पतित थाय छ-एम लख्युं छे. यथा-'अंग-बंग-कलिंगाश्च लाट-मालविकास्तथा।' इत्यादि, तथा-वैताम्कामतो देशान् कलिंगांश्च पतेत् द्विजः ॥ "Aho Shrut Gyanam"

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