Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 123
________________ छपाय छे. +20+ आ पुस्तक प्रमाणे ज बीजा पण आना भागो नीचे लख्या प्रमाणे तैयार थाय छे जे थोडा समय पछी बहार पडशे. प्राचीनजैनलेखसंग्रह भाग-२. आमां मथुराना पुरातन स्थल कंकालीटिलामांथी मळी आवेला बधा जैनलेखोनो विस्तृत टीका साथे संग्रह करवामां आव्यो छे. प्राचीनजैनलेखसंग्रह भाग-३. आमां शत्रुजय, गिरनार, आबू, कुंभारीया, मुंडस्थल, राणकपुर, पाली, मेड़ता आदि गुजरात अने मारवाडमां आवेला प्रसिद्ध अने प्राचीन जैनतीर्थस्थलोना बधा लेखोनो संग्रह करवामां आव्यो छेके जेमनी संख्या ५००-६०० जेटली छे. बधा लेखो उपर गुजरातीमां विस्तारपूर्वक ऐतिहासिक बाबतोथी भरपूर टीका आपवामां आवी छे. जैनसाहित्यमां आ पुस्तक अपूर्व अने अद्वितीय थशे. पृष्ठ संख्या ८०० जेटली थवा संभव छे. जैनऐतिहासिकरासोनो पण एक संग्रह थोडा समयमां प्रकट थशे जेमा ३०-३५ प्राचीन रासो ऐतिहासिक अवलोकन विगेरे साथे आपवामां आव्या छे. आ पुस्तक पण ५०६० फार्म जेटलुं दलदार थशे. प्रकाशकश्रीजैनआत्मानन्दसभा । "Aho Shrut Gyanam"

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