Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 35
________________ नंबर. गुफा. मिति. हाथीगुफा. ई. स. पूर्वे ३००. अनन्तगुफा. " २५० थी २००. राणीगुफा. २०० थी १००. जया-विजया. २०० थी १०.. गणेशगुफा. १०० थी १. स्वर्गपुरीगुफा. , १०० थी १. शतवक्र, नवमुनि नेवी , ५० थी ई. स. १००. जैन गुफाओ. खंडगिरिनी जैन गुफाओनो समय नक्की करवामां घणी हरकतो आवे छे. म्होटा स्तंभो अने जैनतीर्थंकरोनी म्होटी प्रतिमाओ उपरथी एम स्पष्ट थाय छे के ते बौद्ध गुहाओथी अर्वाचीन छे. संस्कृत कोषकार अमरसिंहना ई. स. ना छठा सैकामां बंधावेली होवी जोईए एम धारवामां आवे छे. परंतु गयाना जैन देवालय करता आ जैन गुहाओ नक्की प्राचीन छे एम कही शकाय. हाथीगुफाना लेखमा जेनी अर्वाचीनमा अर्वाचीन मिति ई. स. पूर्व बीजी सदीनी मध्यमा छ, मां खारवेलना महान् जैनवंश विषे उल्लेख करेलो छे. आ विगत उपरथी आपणे एम अनुमान करी शकीए के हाथीगृहानी नजीकमा जेनश्रमणो माटे गुहाओ खोदवामां आवी हशे. कळी उदयगिरि उपर घणी बौद्ध गुहाओ छे अने तेथी बौद्धोथी जुदा रहेवा माटे जैन साधुओए खंडगिरि पसंद कयों होय अने ते ई. स. पूर्व पहेला सैकार्थी ई. स. ना पहेला सैकामां होई शके. " "Aho Shrut Gyanam"

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