Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ ३२१ थी शरु थाय छे, तेथी गुन्हानो वधारेमां वधारे जुनो वखत ई. स. पूर्व बीजा सैकानो होइ शके, हालमा डाक्टर फ्लीटे ' जर्नल ऑफ घी एशीयाटीक सोसायटी ऑफ ग्रेटबीटन ' ना एक अंकमा प्रकट कर्यु त्यार पहेलां वीन्सेन्ट स्मीथ विगेरे शोधकोनो पण तेवोज भत हतो. पंडित ( भगवानलाल )नु मत मने पसंद नथी, पण ई. स. पूर्वे श्रीजा सैकाना अंतमां होई शके एम हुं धारुं छं. एटले के मगधनी गादी उपर अशोक आव्यो ते पहेलां. डाक्टर फरग्युशन अने बरगेसना मतप्रमाणे ' आ लेखनी मिति घणुं खलं ई. स. पूर्वे ३०० छे. ' तेओ कहे छे के अशोकना राज्यथी, खडकोमाथी भोयरां खोदी काढवानी रीति शरु थह अने त्यारबाद उत्तरोतर प्रगतिथी आ काम १००० वर्ष सुधी चाल्यु. ____ आ लेखनी १६ मी लाटीमां कहेवामां आव्युं छे के आ राजाए 'जमीननी तळे ओरडा; तथा देवालय अने स्तंभोवाळां भोयरां कराव्यां,' आ उपरथी आपणे एम कहीं शकीए के हाथी गुफानी पासे तेना जेटली जुनी बीजी गुहाओ छे. जो के ते आपणे निश्चयपूर्वक कही शकीए नहिं. वळी आपणे एम पण कही शकाए के चैत्य, देवालय तथा स्तंभोवाळी गुहाओ करतां बीजी जुनी गुहाओ हशे." कलिंगमो संक्षिप्त इतिहास. आ प्रमाणे खंडगिरि अने त्यांनी गुफाओगें वर्णन छे. कालना महात्म्यनी गति अकल छे. जे जैन अने बौद्धधर्मना श्रमणो माटे १ वी. स्मीथनी 'अली हीस्टरी ऑफ इंडीआ' पा. ३५ ( टीप ). २ फरग्युसन अने बरगेशनी ' केवटेम्पल्स ऑफ इंडीआ' पा. ६७. "Aho Shrut Gyanam"

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124