Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 47
________________ साधुओ उपर जुलम गुजार्यो हतो. जो आ वात खरी होय तो ते इ. स. ना १२ मा सैकानी आस्वरमां बनी होवी जोईए " आ उपरथी संभवित छे के कलिंगना कोई राजाए ज जैनोने ए देश सदाने माटे छोडी जवानी कठोर फरज पाडी होवी जोईए. खारवेलनो लेख. आ प्रमाणे खंडगिरि अने त्यांनी गुफाओर्नु काईक प्राचीन-अ. र्वाचीन वर्णन छे. आ वर्णन अने तेनी साथे आपेला कलिंगदेशना संक्षिप्त इतिहास उपरथी वाचकोने हाथीगुफावाळा ए खारवेलना लेखनी हकीकत अने महत्ता बरोबर समजी शकाशे. आ लेख, हिंदुस्थानना बीजा बधा लेखो करतां अपूर्व अने विलक्षण छे. मी. T. H. Bloch कहे छे के " आ लेख तद्दन ऐतिहासिक छे के जे हिंदमा प्रथम ज छे. आनी शैली राजा डेरीअस ( Darius ) ना बेहिस्तुन (Behistun) लेखना जेवी छे.' " आ लेख एक बरड शिला उपर कोतरेलो होवाथी कालना घसाराना लीधे एनो मध्यनो केटलोक भाग नष्ट थई गयो के के जे आगळ लेखमा स्पष्ट जणाय छे. ए नष्टभाग ऐतिहासिक दृष्टिए धणो ज महत्त्वनो हतो. आ लेखना स्पष्टीकरण माटे जेम उपर जणाववामां आव्यु छे तेम, अनेक विद्वानोए बहु परिश्रम उठाव्यो छे परंतु तेमां पूरेपूरी सफळता तो गुजरातना गौरवभूत पुरातत्त्वज्ञ पंडित भगवानलालने ज मळी छे. तेमणे ज ए लेखना कानुं वास्तविक नाम अने संबद्ध वर्णन खोळी काढयु हतुं. एमनी पहेलाना शोधको तो लेखकानुं नाम पण — ऐर' बतावता हता अने पाठो पण आडा + बाबु मनमोहन चक्रवर्ती एम. ए. ना “ नोट्स ऑन धी रीमेन्स इन धौली एन्द इन घी केस ऑफ उदयगिरि " पृष्ठ ९. १ आर्किओलॉजीकल सर्वे ऑफ इन्डीआ, एन्युअल रीपोर्ट, १९०२-०३. "Aho Shrut Gyanam"

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