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प्राकृतलेखविभाग |
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(३) कलिंगराजवंसपुरिसयुगे महाराजाभिसेचनं पापुनाति ” अभिसितमतो चं पथमवसे वातविहतगोपुरपाकारनिवेसनं पटिसंखारयति कलिंगनगरिं खिबीर चैं सितलतडार्गेपाडियो च बधापयति सबुयानपतिसंठापनं च
८. संपुणचतुविसतिवसो ने बदले K मां संपुणचव विसत छे. C मां स्वरुं छे.
९. मां च ने बदले स छे अने K मां कांइज नथी.
१
• K मां विजपात तिये छे अने मां विजयोत तिये छे. य भांगी
C
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गयो छे पण व स्पष्ट छे तेथी संस्कृत विजयवृत्यै ने बदले विजयवतिये हुं पसंद करूं छं. य, पो होइ शके पण अहींयां पो नी पहेलां य ना लोप विषे आपणे कारण आपी शकीए. तेथी सं. विजयप्रवृत्त्यै ने बदले विज[य] पोतिये पण थाय.
११. पापुनाति ने बदले मां पापेनाति छे. पण मूळमां तथा K मां पु स्पष्ट छे.
१. ० नी नकलमां मतो नो म, अ जेवो देखाय छे. पण मूळ लेखमां तेमज x मां म स्पष्ट छे.
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२. से ने बदले मांस छे. मूळ लेखमां तेमज K मां से
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स्पष्ट छे.
३. खिबीरं च वांचो. च झांखो छे.
४. मां सिताळतडिग छे. K मां खरुं छे.
५. K मां आ शब्द बघपयति जेवो देखाय छे तथा मां चपयति जेबो के.
"Aho Shrut Gyanam"