Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 115
________________ प्राकृतलेखविभाग। बाळपणमां विजिगीषुने छाजे एवी उत्तम प्रकारनी केळवणी मळी हती. गणित, साहित्य, व्यवहार अने चित्रविद्यामां ते कुशळ हेतो. जैन आगमोनूं ते सारं ज्ञान धरावतो हैतो. अभ्यासकाळ पूरो थतां पंदर महाप्रतापी चंद्रगुप्त मौर्यनां अनेक नाममा एक छे जुओ मुद्राराक्षस. आथी करीने ई. स. पूर्वे ३२५ मां आर्यावर्तना पश्चिम छेडाना प्रांतो सिकंदरे जीत्या त्यारे पाटलिपुत्रमा चंद्रगुप्त राज्य करतो होवो जोइए. आ लेखे एलेकझांडरनी छावणीमां चंद्रगुप्त बहारवटियारुपे रखडतो आव्यानी वात एवी बीजी वातोनी पेठे निमूल अने अश्रद्धेय ठरे छे. ई. स. पूर्व ३२५ मां चंद्रगुप्त पाटलिपुत्रनो राजा हतो, ते बीजी रोते पण सिद्ध थाय छे. ते बुद्ध भगवान पछी १६२ वरसे गादीए आव्यो कहेवाय छ; अने मि. स्मिथ निर्वाणनी साल ई. स. पूर्वे ४८७- ८६ नक्को करे छे, जुओ Smith's Early History of India. हवे हस्तिगुफानो लेख मौर्य संवत १६५ मां कोतरवामां आव्यो हतो. ए संवत चंद्रगुप्त मादीए आव्यो त्यारथी गणाय छे. आथी प्रस्तुत लेखनी साल ई. स. पूर्वे १६० ठरे छे. ते वखते खारवेल साडीस वरसनो हतो; अर्थात् ते ई. स. पूर्वे १९७ मा जनम्यो हतो. मौर्यवंशनो समग्र राज्यकाळ १३७ वरस आपवामां आवे छे. तेथी ई. स. पूर्वे १९८ मां पुष्यमित्रने राजा थयो गण्यो छे. बीजां वरसोनी गणत्री पण आ ज प्रमाणे करवामां आवी छे. Smith's Early History of India नी अने आ लेखनी सालोमा उपरना कारणने लीधे जूज फेर पडे छे. १७-१८ हस्तिगुफाना लेखमा बाळ खारवेलने लेखरूपगणनाववहारविधिविसारद अने सवविजावदात एवां वे विशेषम ल. गाब्यां छे. तेमा लेख, रुप, गगना अने व्यवहारथी भिन्न शक्यार्थना विद्याशब्दे ई आगम अर्थात् जैन आगम समजू छं. जैन भिक्षुनी विद्या ते ज छे. भिक्षुराज खारवेलना संबंधमां पण ते जे लेवी उचित छे. "Aho Shrut Gyanam"

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