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प्राचीनजैनलेखसंग्रह। रियं" चुपादयति खेमराजा स वधराजी स भिखुराजी इ[ना]मराजा पसंतो सनतो अनुभवतो [क]
लाणानि
(१७) . . . . . . . . गुणविसेस कुसलो सवपासंडपू
‘जको' . . . . . . तानसंकारकारको [अ]पति९. C मां कोल छे. अहीं K नी भूल छे. मूळमां काळे स्पष्ट छे,
१०. ८ मां चेछिनंच छे. K ए पहेला अक्षरमां भूल करी छे अने तेने बदले कांइ खोटुं आप्यु छे.
११. K अने c कतरियं वांचे छ. K ए क नी बेसणी जाडी आयी छे जे उकार छे.
१२. ० अने K मां नपादयति छे. पण चु स्पष्ट छे.
१३. ८ मां अगमराजा छे. अने K मां पहेला बे शंकाग्रस्त छे पण मूळमां खेमराजा स्पष्ट छे.
१४. बीजो अक्षर जरा गोळाकार छे अने ठ जेवो देखाय छे. c मां तद्दन ठ जेवो आप्यो छे. K मां वठराजा छे. मारा मत प्रमाणे ते वधराजा, सं. वृद्धराजा छे.
११. खु शंकाग्रस्त छ. K करतां c मां आ भाग सारो आप्यो छे.
१६. भांगेलो अक्षर कदाच क छे; K मां लाणानि तथा c मां राणानि छे.
१. K अने c बन्नेमा विसेस नो स जवा दीधो छे, फोटोग्राफमा ते स्पष्ट छे.
"Aho Shrut Gyanam"