Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 57
________________ परिशिष्ट. आ उपोद्घातमां अनेक ठेकाणे खंडगिरिनी नवमुनि नामनी गुहामा __ भावेला उद्योतकेशरिना समयना तथा शुभचंद्र अने कुलचंद्र नामना जैनश्रमणोना उल्लेखवाळा लेखोनू सूचन करवामां आव्युं छे. हालमा ' एपीग्राफीआ इन्डीका' ना सन १९१५ ना अक्टोबर मासना अंकमां मी आर. डी. बेनरजी एम. ए. नो लखेलो ' उदयगिरि अने खंडीगरिनी गुहामांना शिलालेखो' ए शीर्षक एक लेख प्रकट थयो छे. ए लेखमां, हाथीगुहा लेख सिवाय, उक्त स्थळे आवेला बीजा बधा न्हाना न्हाना लेखो केटलीक नोटो साथे प्रकट करवामां आव्या छे.x ए लेखोमां उद्योतकेशरि संबंधी लेखोनो पण समावेश करवामां आव्यो छे. आ निबंध साथे ए लेखोनो खास संबंध होवाथी, मी. बेनरजीना वक्तव्य साथे आ परिशिष्टरुपे अत्र आफ्वामां आवे छे. ------ -- नवमुनि गुहाभां उद्योतकेशरीनो शिलालेख. ईस्वीसनना दशमा सैकानी लगभगमा एकज तारीखना लखा यला नवमुनि गुहामां बे शिलालेखो छे. पहेलो लेख उद्योतकेशरिदेवना राज्यना अढारमा वर्षमा कोरेलो छ, अने ते कमानना अंदरना x प्रस्तुत पुस्तकमा जे नं. २, ३ अने ४ ना लेखो छे ते पण मी. बेनरजोए किंचित् संशोधन साथे पुनः प्रकाशित कर्या छे. बेनरजीना संशोधनमां कोई विशेषता न होत्राथी अत्र तेमनो उल्लेख करवो उचित धार्यो नथी. "Aho Shrut Gyanam"

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