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प्राचीनजैनलेखसंग्रह। बारमा वर्षमां उत्तरापथ (उत्तर) ना जुलमी राजाओ विषे काइक कहेलुं छे. त्यारबाद जे आवे छे ते जतुं रघु छे तेथी तेनो संबंध कळी शकाय तेम नथी. पण घणुंखरूं खारवेले तेमना उपर चढाइ करी हशे. त्यारबाद खारवेले मगधना राजाने बीक बतावी अने तेना हाथीओने गंगामां स्नान कराव्युं एटले के गंगा सुधी जइ पहोंच्यो; तेणे मगधराजाने शिक्षा करी अने पोताना पग तरफ नमाव्यो. त्यारबाद कोइक नंदराज जेणे जैनोना अनजिन आदीश्वर (नी मूर्ति) अगर अप्रजिनकाइक लइ लीधुं हतुं ते राजा विषे छे अने आ मूर्ति अगर वस्तु खारवेल पाछी लाव्यो छे. त्यारबाद मगधमा वसेला एक शहेरनु वर्णन छे, पण तेना पछीनो भाग जतो रह्यो छे. त्यारबाद खारवेले कांहक बंधाव्यानुं वर्णन छे के जेमना शिखर उपर बेसीने विद्याधरो आकाशमां जइ शके. तेनो अर्थ एवों होवो जोइए के आ मकानो घणांज उंचां हता. त्यारवाद खारवेले एक हाथीनुं दान कयु जे दान तेणे पहेलां अगर पछीनां सात वर्षमा कयु नहोतुं. त्यारबाद जे आवे छे ते तुटी गयुं छे. पण तेमां तेणे जीतेला कोई देश, वर्णन आवे छे.
तेरमा वर्षमा कुमारी टेकरी उपर आहेत-देवालयनी नजीक, बहारनी बेठकनी पासे, काइ काम कर्यानुं कहेलुं छे, पण शुं कर्यु छे ते जतुं रघु छे. कारण के आ भाग तुटी गयो छे. त्यारबाद विद्वानो तथा विश्ववंद्य यतिओनी एक सभा बोलाव्यानुं कहेलं छे. अने काइक, कदाच एक गुहा, आहेत बेठकनी नजीक खडकमा, उदयगिरिउपर हुंशियार कारीगरोना हाथे कराव्यानुं कहेलुं छे तथा वैडूर्यगर्भ, पटालक अने चेतकमां स्तंभो कराव्या विषे छे. आ काम मौर्य संवत् १६४ पछी १६५ मा वर्षमा कराववामां आव्युं हतुं.
१ पटालक अने चेतक कदाच गुहाओनां नाम छे अने वैद्यगर्भ तेमनो एक भाग छे.
"Aho Shrut Gyanam"