Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 77
________________ प्राकृतलेखविभाग। त्यारनाद खारवेलनी वंशावळी आपी छे. खेमराज ( तेनो पुत्र ). वृद्धराज (तेनो पुत्र ). भिक्षुराज. आ लेखमां बताव्या प्रमाणे भिक्षुराज खारवेलनें बीजं नाम होय तेम लागे छे. भिक्षुराज, राज्य- पालन करनार, सुख भोगवनार, अनेक सद्गुणसंपन्न, सर्वधर्मपर आस्था वाळो,........संस्कार पाडनार, राज्य, वाहनो अने एक अजित लश्करवाळो, राज्यनी लगाम हाथ करनारो, देशने पाळनार, महाराजाओना वंशमां उत्सन्न थएलो, आ महान् खारवेल राजा छे. ___अहिंआं कहेली सदी मौर्य सदी छे. हजु सुधी मौर्य राजकाल कोई ठेकाणे जोवामां आव्यो नथी अने तेथी नक्की करवू जोइए के आ सदी क्याथी शरु करवानी छे. प्रश्न ए छे के आ सदी प्रथम मोर्यराजा चंद्रगुप्तथी अगर ए वंशना कोइ बीजा राजाथी शरु करवानी छे ? हुं धारूं छु के ते अशोकना आठमा वर्षथी शरु थाय छे तेनां बे कारणो छे:--( १ ) आ लेख कलिंग राजानो छ ( २ ) अने अशो. कना तेरमा लेखमां ते कहे छे, के मारा आठमा वर्षमा में कलिंग जीत्यु ते वखते घणा माणसोनो घाण नीकळी गयो; पण तेने माटे ते नाखुश छे परंतु ते आथी संतोष माने छे के सलाह स्थपाइ हती तथा धर्म आगळ वध्यो हतो. आवी मोटी जीतथी कलिंगना लोको नवी सदी शरु करे अने आ वर्षने आ सदीनुं प्रथम वर्ष मानिए तथा अशोकनी राज्यगादी बेठानी मिति के जे हवे नक्की थई गई छे तो आ लेखनी मिति हमेशने माटे नकी करी शकाय. "Aho Shrut Gyanam"

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