Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 61
________________ प्राकृतलेखविभाग | *कटक नजीक आवेली उदयगिरिनी टेकरी उपरना हाथीगुफा तथा बीजा ऋण लेखो । ल --AV शोकना वखत पछी पूर्व हिंदुस्ताननो इतिहास तथा तेनी भाषा विषे माहिति मेळववामां हाथीगुम्फा लेख घणोज उपयोगी छे. प्रथम तेने इ. स. १८३० मां मी. स्टलींगे (Stirling) कर्नल मेकेन्झी (Mackenzie) नी बनावेली अपूर्ण नकल उपरथी प्रकाशित कर्यो. + मेजर कीड (Kittoe) ए इ. स. १८३७ मां नजरे जोइने तेनी नकल करी, अने आ नकल उपरथी प्रीन्सेपे ( Prinsep) भाषांतर सह * Actes Du Sixieme Congres International Des Orientalistes, tenu en 1883 â Leide. नामना पुस्तकना ३ भागमा ( पृष्ट १३३ थी १७९ सुधीर्मा ) प्रख्यात विद्वान पंडित भगवानलाल इंद्रजीना THI HATHIGUMPHA AND THREE INSCRIPTONS, IN THE UDAYAGIRI CAVES NEAR CUTTACK नामना इंग्रेजी निबंधनो आ संपूर्ण गुजराती अनुवाद छे -- संग्राहक. + एशियाटीक रीसर्वोस, पु. १५. ( Asiatic Reserches, XV.) " Aho Shrut Gyanam"

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