Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 54
________________ ३८ पूजा छे ते पाछळथी दाखल थइ छे. महावीर देवना निवण बाद ८ म के ९ मा सैकामां तेनी शरुआत थई छे. तेनी पहेलां जैनोमां तीर्थकरोनी मूर्ति मानवानो के बनावबानो प्रचारन हतो. ए विषयमा बने संप्रदा योमां परस्पर अनेकवार क्लेशजनक चर्चाओ थई छे. खारवेलना आ लेख उपरथी ए विवादग्रस्त चर्चानो एकदम निकाल अने निर्णय धई शके छे. लेखमां आवेली हकीकत उपरथी स्पष्ट अने सत्य रोते जणाय छे के, ते वखते अने तेना पहेला पण जैनोमां मूर्तिपूजा प्रचलित हती. आ लेखनी १२ मी पंक्तिना पावला भाग उपरथी जणाय छे के “ आदि तीर्थंकर ऋषभदेवनी मूर्ति नंदराजा उपाडी गयो हतो, ते.... पाटलिपुत्र थी राजगृह पाछी आणी जैन विजेताए नवा भव्य प्रासा दम भारे उत्सव समारंभथी तेनी स्थापना करी. " ( जुओ, पृष्ट ९८--९९, श्रीयुत के. ह. ध्रुवनुं विवेचन. ) आ कथनथी असंदिग्धता. पूर्वक सिद्ध थाय छे के ई. स. पूर्वेना ३ जा सैकामां तेमज तेनी पण पहेलां जेनमूर्तिपूजा यथार्थ रीते प्रचलित इती. श्रीमान् ध्रुव महाशय ता. ८-२-१९१७ ना म्हारी उपरना एक खानगी पत्रमां आ बाबत खास विचारपूर्वक लखे छे के " खारवेलना लेखना एक महत्व धरावता भाग उपर आपने लक्ष न गयूँ होय, तो हूं ते तरफ दोवा रजा लेउं छू. एमां एक ठेकाणे राजगृहमांथी ऋषभदेव भगवाननी मूर्ति नंदराजा उपार्ड गयानूं लख्यूं छे. आथी ईसवी सन पूर्वे चोथा सैकामां मूर्तिपूजा जैनोमा प्रचलित हती एम सिद्ध थाय छे. आ बाबतने पुष्यमित्रना इतिहास साधे प्रत्यक्ष संबंध न होवाथी में ते लक्ष खेचाय तेवी रीते नोधी नथी. " हंधा के के आ विषयमा आना करतां बधारे सबल प्रमाण " Aho Shrut Gyanam".

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